विचार

गुरुवार, 15 मई 2008

विकास यज्ञ

चाहुनोर विकास के लिए
सरकार ने कथा सुनी
पूंजीपतियों ने किया मंत्र प्रवाह
और armaan hamaare hawan बने
हम टू श्रोता -दर्शक रहे हमको मिला प्रसाद
इस यज्ञ का dhooaan यहीं तक फैला
हम देख रहे अपनी और शांत आकाश
किसी ने बताया हवा के साथ
उसी ओर jaayegaa........होगी स्वर्ग कुसुमों की बरसात
हुए itane दिन....अब टू आस भी गई
अब ऐसे ही फफक-फफक कटेगी रात.

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