विचार

शुक्रवार, 12 अक्तूबर 2018

राज्यों के चुनाव में फिर बीजेपी के लिये गेम चेंजर साबित हो सकते हैं मोदी


मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मिजोरम और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। चुनाव आयोग ने चुनाव कार्यक्रम का ऐलान कर दिया है। सभी प्रतिस्पर्धी अपनी सेना सुसज्जित कर चुके हैं कुछ तो अपने अभियान पर भी निकल चुके हैं, चुनाव का समय ऐसा है विधानसभा चुनाव ज्यादा ही महत्वपूर्ण हो गए हैं क्योंकि इसके परिणाम फिर से सिपहसालार के मूल्यांकन का कारण और जनता पर पकड़ की कसौटी पर कसे जाएंगे। इस बीच abp-cvotersने सर्वे में मतदाताओं की नब्ज पकड़ने की कोशिश की है। इनका अनुमान है कि यदि अभी चुनाव हो जाएं तो तीन बड़े राज्यों में जहाँ कॉंग्रेस भाजपा का सीधा मुकाबला है सत्ता विरोधी लहर के कारण कांग्रेस की अरसे बाद वापसी हो सकती है। सर्वे में mp में कॉंग्रेस को 122 सीट, छत्तीसगढ़ में 47 सीट और राजस्थान में 142 सीट मिलेगा, इसीतरह bjp को क्रमशः 108, 40 और 56 सीट मिलती बताई गई हैं। इसी के साथ mp, cg में कांग्रेस-भाजपा का वोट शेयर क्रमशः 42.2 और 41.5%,जबकि छत्तीसगढ़ में 38.9 और 38.2% मिलता दिखाया गया है। इस तरह पहली नज़र में कांग्रेस का पलड़ा भारी है मगर वोट % का मार्जिन दोनों राज्यों में बहुत कम है, ऐसे में किसी भी पार्टी की सुस्ती या मतदाता का स्विंग नतीजों में बड़ा अंतर कर सकता है उसपर भी जब इन दोनों ही राज्यों में अब भी वर्तमान मुख्यमंत्री लोगों की पहली पसंद बने हुए हैं। दूसरा मामला संगठन का भी है जिसमें bjp अपेक्षाकृत मजबूत है। उनके मुख्यमंत्री की प्रदेश भर में अपील है और mp men कांग्रेस के 3 दिग्गज दिग्विजयसिंह, कमलनाथ और ज्योतिरादित्य खुद को बड़ा और दूसरों को छोटा करने में लगे हैं जिनके प्रदेश भर अपील भी नहीं है ज्यादातर अपने जिले या मंडल भर में प्रभाव रखते हैं और दिग्विजय तो वैसे भी नकारे जा चुके हैं ऐसे में जनता बिना किसी रोडमैप के केवल इसलिय इन्हें स्वीकार कर लेगी की शिवराज के 3 कार्यकाल हो गए हैं जनता से थोडा ज्यादा मांगने जैसा होगा क्योंकि दिग्विजय की दौर की बिजली सड़क आदि व्यवस्था को वोट देने से पहले याद करेंगे तो उनका निर्णय क्या होगा अंदाजा लगाया जा सकता है। इसके बाद bjp के पास एक तुरुप का पत्ता है प्रधानमंत्री मोदी, अब सवाल यह है कि यह पत्ता क्या फिर असरकारी होगा। वैसे वक्तृत्व कला और खुद को जनता से जोड़ लेने की क्षमता और मतदाता को अपनी बात समझाने की म जैसी ताकत आज के दौर में मोदी में है वैसी क्षमता उनके मुखल्फीन में नहीं है और कांग्रेस अध्यक्ष तो कहीं ठहरते नहीं। bjp को उम्मीद होगी की मोदी कुछ प्रतिशत मददाता को उनकी तरफ मोड़ देंगे और ऐसा हुआ तो कांग्रेस को फिर मायूसी मिल सकती है। मगर क्या इस बार मोदी क्या ऐसा कर पाएंगे क्योंकि कांग्रेस अध्यक्ष राफेल मामले को उठा रहे हैं क्या मामला विधानसभा में समझ में आएगा, फिर जब कांग्रेस अध्यक्ष की बॉडी लैंग्वेज इस दौरान ऐसी हो कि जैसे हमलोग आपसी बातचीत के दौरान तीसरे दोस्त को बेवकूफ बनाने के दौराण आंख मार देते हैं। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष mp में एक रैली में कह बैठे की मोदी गुजरात के लोंगो को नौकरी दे रहे हैं और mp में नौकरी नहीं यह बातें उनकी विश्वसनीयता पर और भी सवाल उठाती हैं। साथ ही उन्हें तय करना होगा कि समस्या रोजगार की कमी है gujrat के लोंगो को ज्यादा रोजगार मिलना। अगले साल लोकसभा चुनाव में गुजरात में भी वोट मांगना है, इसलिये कॉंग्रेस की 70 के दशक से अब तक कि divide & rule की पॉलिसी उनको तो फायदा नहीं ही पहुंचाएगी अलबत्ता देश का नुकसान जरूर कर देगी। फिर केंद्र के पिछले karrykal से अबकी विश्वसनीयता पर जो सवाल खड़े हुए हैं अब भी कांग्रेस जवाब नहीं दे पाई है और जब तब उसे बगलें झाँकनी पड़ती है इसके बरक्स प्रधानमंत्री की विश्वसनीयता अब भी है। ऐसे में कांग्रेस की राह आसान नहीं है इसके साथ ही इसमें bsp बड़ा फैक्टर साबित हो सकती है फिलहाल कुछ और ििइंतज़ार करना होगा।

बुधवार, 10 अक्तूबर 2018

बुंदेलखंड का आध्यात्मिक और पर्यटन का केंद्र है दतिया


मध्यप्रदेश के दतिया जिले में स्थित मां पीतांबरा का मंदिर एक सिद्धपीठ है। यह मंदिर बुंदेलखंड की आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र है। वैसे तो देश विदेश से लोग यहां दर्शन करने आते हैं, मगर बुंदेलखंड क्षेत्र के लोग तो नियमित दर्शन पूजन करते हैं। तमाम लोग दिल्ली तक से आते जाते हैं। वैसे तो आछ्छे काम पूजा के लिए हर समय पवित्र है और नवरात्र आदि शक्ति को प्रिय है पर शनिवार को यहां पूजा अर्चना खास माना जाता है। इस मंदिर के संचालन का कामकाज देखने वाली ट्रस्ट की प्रमुख राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया हैं। मंदिर की खास बात यह है कि आमतौर पर दूसरे प्राचीन मंदिरों में पुजारियों की ओर से रुपये का चढ़ावा को लेकर जो लालच और अनुचित व्यवहार दिखता है यह इस मंदिर में नज़र नहीं आता। मां पीताम्बरा पीले वस्त्रों में रहती हैं और बगलामुखी का रूप मानी जाती हैं।

  इसलिए यहां पीले वस्त्र में अनुष्ठान करते हैं राज सत्ता की चाहत रखने वाले और दुश्मनों से रक्षा की गुहार लगाने अक्सर भक्त यहां हाजिरी लगाते हैं। मंदिर में पूजा पाठ के लिए काफी स्पेस है। सबसे बड़ी बात शक्ति के विभिन्न स्वरूपों के साथ शिव के भी विभिन्न मंदिर है। सम्भवतः यह शिव पार्वती दंपति के प्रेम का प्रतीक है। शक्ति के जल्द क्रोधित होने वाली स्वरूप धूमावती मां का मंदिर भी है मगर ज्यादातर यह बंद ही रहता है यह 7.30 baje शाम को आरती के समय ही खुलता है।

  यहां भक्तो के लिए रहने और नाश्ते आदि की भी व्यवस्था है मगर अब यह सुविधा सिर्फ नियमित भक्तों को मिलती है बहुत कम शुल्क पर । पहले सभी को यह सुविधा उपलब्ध थी मगर आने वाले लोगों के कर्मचारियों से दुर्व्यवहार की वजह से यह सुविधा अन्य के लिये बंद कर दी गयी। हालांकि यहां रुकने के लिए अन्य होटल आदि मिल जाएंगे।  


 दतिया में बहुत कुछ है देखने लायक: सिद्धपीठ के अलावा भी दतिया में देखने लायक बहुत कुछ है। राजा वीर सिंह का 16 विन शती में बनवाया गया सात खंडा महल। यह महल 7 तल वाला है किंवदंती यह है कि इसमें 7 तल अंदर ग्राउंड भी हैं मगर पुरातत्व बिभाग वाले सुरक्षा कारणों से इसे बंद रखते हैं दीवाली पर सफाई के लिए ही मजदूर निचले हिस्से में जा पाते हैं वो भी 1 तल। बाकी दिनों में महल के ऊपरी हिस्से में लोगों को आने जाने दिया जाता है। महल के दो तरफ तालाब है जिससे नहाकर महल की ओर आने वाली हवा से भीषण गर्मी में भी आपको यहां गर्मी महसूस नहीं होगी। साथ ही इससे पूरे शहर का नज़ारा देखा जा सकता है। और तालाब इस शहर को खूबसूरत बनाते हैं। वीर सिंह के वंशजो का किलानुमा घर भी है मगर वो आमलोगों के लिए शायद बंद है वहां राजा के परिजन रहते हैं।


  https://datia.nic.in पैलेस भी यहीं है इसे राजा शत्रुजीत बुंदेला ने बनवाया था। महाभारत कालीन वनखण्डेश्वर मंदिर भी यहीं है। आसपास भी बहुत कुछ:दतिया से 12 किलोमीटर दूर सोनागिरी जैन धर्म का तीर्थ स्थल है। दतिया से 17 किलोमीटर दूर पराग ेेतीहसिक काल का उन्नाव बालाजी मंदिर है। 55 किलोमीटर दूर घने जंगल में रतनगढ़ माता का मंदिर है। दिल्ली की तरफ से आने पर 69 किलोमीटर पहले ग्वालियर है, जहां किला, सिंधिया पैलेस, झांसी की रानी पार्क, तानसेन की मजार, तिघरा डैम आदि दर्शनीय स्थल हैं। दतिया से 34 किलोमीटर दूर झांसी और 52 किलोमीटर दूर ओरछा है यहां भी काफी दर्शनीय स्थल हैं कुल मिलाकर समय हो तो यहां और आसपास इतने दर्शनीय स्थल हैं अलग अलग तरीके की सोच वालों को जो दीवाना बना दे। कैसे पहुंचे:दतिया दिल्ली मुम्बई रेल रुट पर है। यह दिल्ली से 325 किलोमीटर दूर तो भोपाल से 320 किलोमीटर दूर है। इस रूट पर ट्रेन तकरीबन समय पर चलती हैं। एक अच्छी ट्रेन ताज एक्सप्रेस है सिटिंग ac aur non ac भी है, मगर सीट बस से आरामदायक है। और भी कई अच्छी ट्रेन है। बस की भी सुविधाएं भी हैं।

सोमवार, 8 अक्तूबर 2018

History of india


जो पीढ़ी अपना इतिहास संभाल कर नहीं रख सकती उसका कोई भविष्य नहीं हो सकता। क्योंकि इससे हमें वर्तमान को बनाने की सीख मिलती है और यही भविष्य की बुनियाद होती है। इसलिये हम सबको मिलकर जो जहां भी है अपनी अतीत की घटनाओं की निशानियों को संभाल कर रखना होगा ताकि हमारे भविष्य की बुनियाद मजबूत रहे।


     इ सी सोच के साथ पिछले साल मुझे व्हाट्सएप पर किसी साथी से अतीत की घटनाओं के कुछ फोटो मिले थे, आजकल सोशल मीडिया पर तमाम सवाल उठते रहते हैं मैनी इनका परीक्षण नहीं किया मगर पहली नज़र में सही लगीं। इसलिए एक साल से संभाल कर अब इन्हें गूगल पर सुरक्षित कर देने की मंशा से ब्लॉग पर डाल दे रहा हूँ, ताकि जब जरूरत पड़े पाया जा सके।