विचार

बुधवार, 3 दिसंबर 2008

मीडिया की कारगुजारी

मीडिया की भारी गलतियों की वजह से (सीधा प्रसारण ) आतंकवादियो को रणनीति बनाने में आसानी हुई । क्या मीडिया की यही जिम्मेदारी है ? जिसके सीधे प्रसारण के कारन कई नागरिको और पर्यटकों को अपनी जान गंवानी पड़ी । सवाल यह है की मीडिया कब अपनी जिम्मेदारियों को समझेंगी ?

मंगलवार, 2 दिसंबर 2008

मानसिक दिवालिये पन के शिकार नेता (एक अपील अध्यक्ष जी के नाम)

यह माना जाता है की जब कोई सियार हुआ-हुआ करना शुरू करता है तो सारे सुरु कर देते हैं.मुंबई बम बिश्फोत के बाद जनता के बिरोध प्रदर्शनों के बाद ये आत्म्लुब्ध अकर्मण्य नेता तिलमिला गए हैं.और सारे के सारेएक ही सुर में बोलना शुरू कर दिए हैं।

कुछ नेता स्वयं को ही लोकतंत्र और प्रजातान्त्रिक संस्था समझाने लगे हैं.और अपने खिलाफ विरोध प्रदर्शन पर तिलमिला गए हैं।
नकवी ने कहा-कुछ संगठनो ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ने की जगह लोकतंत्र के खिलाफ जंग छेड़ दी है,इस तरह के प्रदर्शनों से वे लोकतंत्र के प्रति अविश्वास पैसा कर रहे है जम्मू कश्मीर में यही कम आतंकवादी कर रहे हैं.यह वक्त पाक प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने का है,नाकि प्रजातान्त्रिक संस्थाओं के खिलाफ असंतोष पैदा करने का ,साथ ही कहा कुछ महिलाएं लिपस्टिक पाउडर लगाकर नेताओं के खिलाफ प्रदर्शन कर रही हैं,उनमे और कश्मीरी आतंकियों में कोई फर्क नही हैदोनो लोकतंत्र और उसमे शामिल लोगो के खिलाफ हैं।

राय- दुखी और पीडितो के दुःख को नकवी नही देख पाए लेकिन लिपस्टिक देखा ,यह बताता है नकवी की निगाह कहा रहती है और औरतो के प्रति कितना सम्मान इनमे है,क्या महिला आयोग कोई एक्शन लेगा...इन्हे आतंकी कहना, इनके मानसिक दिवालियेपन को ही दिखाता है,और मानसिक दिवालिये नेता हमारे सांसद विधायक होने की योग्यता नही रखते यह संविधान में लिखा है....चुनाव आयोग को इसकी जांचकर इनको अयोग्य ठहराना चाहिए...

माकपा के वी एस अच्च्युतानान्दन ने कहा-अगर वो संदीप (मुंबई में शहीद मेजर )का घर न होता तो वह कुत्ता भी झांकने न जाता.(संदीप के पिता द्वारा मिलाने से इनकार कराने पर )
राय-क्या इनसे कोई पूछने वाला है की आप मुख्यमंत्री न होते तो क्या होते....ऐसे गैर जिम्मेदाराना बयां बताते है की यह पड़संभालने लायक यह नही बचे....ये इस्तीफा दे.कितने संवेदनशील है यह भी बताता है.साथ ही संसद या विधानसभा का सदस्य होने की योग्यता इनमे है की नही आयोग जांच करे॥
राकपा नेता का बयान-प्रफुल्ल पटेल कहते हैं -आतंकी घटना के लिए केवल राजनितिक दल या नेता जिम्मेदार नही है,सुरक्षा अधिकारी भी दोषी हैं इसके अलावा आम जनता की भी जिम्मेदारी बनती है की वह सतर्कता बरते....
राय-जब अधिकारियों को संभाल नही पा रहे हो तो आतंकियों को क्या संभालोगे इस्तीफा दो...फ़िर सुरक्षा गार्डों के साए में क्यों टहलते हैं...आज तक आतंकी हमले में कितने नेता मरे कितने आम आदमी हिसाब दो.अभी ब्लॉग लिखे जाने तक किसके ऊपर आए किसे पता॥
नीतिश ने कहा-हमारे ख़िलाफ़ ऐसे प्रदर्शन अनुचित है..इससे लोकतंत्र पर असर पङता है ये तरिका अनुचित है॥हम जनता के प्रतिनिधि हैन्हामे इनके दर्द का अहसास है...
राय-दर्द का एहसास होता तो तो छोटे से विरोध पर इतना बुरा ना लगता वो भी तब जब हर बार शिकार आम आदमी ही होता है..उसमे असुरक्षा की भावना है..और वह शिकार है....
क्या आप बेशर्म नही है?क्या अमेरिक में नेता नही है?क्या वहा दोबारा आतंकी हमला हुआ.