विचार

मंगलवार, 15 जुलाई 2008

....एक अच्छी शुरूआत

२२ जुलाई को अयोध्या में संतो का एक महा सम्मलेन होने जा रहा है। जिसमें देश के प्रमुख संत देश में हिंदुत्व की अलख जगाने की रणनीति तैयार करेंगे। इस सम्मलेन का उद्देश्य; पिछले माह हरिद्वार में तय हुए विहिप की योजनाओं को अमली जामा पहुचाना है।जिसमें देश के प्रमुख संत देश के एक-एक जिलों को गोद लेंगे।
विहिप (संतो)द्वारा उठाया यह कदम सराहनीय है। संतो द्वारा एक-एक जिलो को गोद लेने से वहां अनेक सांस्कृतिक,धार्मिक ,एवं सामाजिक कार्यक्रम ,आयोजित,कराये जा सकते हैं। जिससे इन जिलों में आर्थिक विकास और सामाजिक विकास की नदी अर्थात् गंगा बह सकती है।लोगो की धार्मिक (आध्यात्मिक) रुचियों के परिष्कार में मदद मिलेगी।
हमारी धार्मिक संस्थावो के पास काफ़ी पैसा है ,उन्हें दान भी काफ़ी मिलता है,जिनका उद्देश्य सामाजिक,धार्मिक कार्य कराने के लिए ही दान किया जाता है ।यह धन का सबसे अच्छा उपयोग होगा ।इधर मंदिरों और आश्रमों से सम्बंधित लोगो के हत्या जैसा आरोप लगने और इनमें सघर्ष की ख़बरों ने इनकी प्रतिष्ठा को धक्का पहुचाया है।
इस(जिलों के गोद लेने के ) कार्य से हिंदू धर्म में जाति पंथ और विचारधारा के नाम से जो विखराव और टकराव हो रहा है,उसे रोकने में भी मदद मिलेगी। साथ ही समाज में नैतिकता भी बढेगी। अपराध को बढ़ने से भी रोका जा सकता है। आर्थिक विकास के कुछ कार्यक्रम इन्होने चलाया तो गरीबो और विकास से दूर इन जिलों की तस्वीर बदल सकती है।
हमारे धर्म में दरिद्रो में (प्राणी मातृ में)नारायण के दर्शन किया जाने की परम्परा है। दान का लक्ष्य नारायण की सेवा ही होती है।इस कार्य में आशा है उन्हें यथेष्ट महत्त्व मिलेगा।

बुधवार, 9 जुलाई 2008

कुछ औरों को भी दे- दो.

२७ जून को मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा नोटिफिकेशन जारी होने के बाद यमुनापार (इलाहाबाद) में देश का पहले ग्रामीण विश्वविद्यालय नेहरू ग्राम भारती विश्वविद्यालय के बनने का काम शुरू हो गया है। जिसकी आधारशिला पंडित जवाहर लाल नेहरू ने १९६२ में रखी थी। वैसे... पूर्वांचल की आबादी और आवश्यकता को देखते हुए इसकी सख्त जरूरत महसूस की जा रही थी।
इस विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद, इलाहाबाद में दो केन्द्रीय विश्वविद्यालय होंगे इसके साथ एक मुक्त विश्वविद्यालय, एक एनआईटी, एक आई आई आई टी एवं कई शोध संस्थान देश और प्रदेश की शिक्षा में योगदान दे रहे हैं। यह एक गौरवशाली समय है। लेकिन इसके साथ यह (पूर्वांचल) क्षेत्र गरीबी बेरोजगारी के मकड़जाल में फंसा हुआ है, जबकि (अन्य जिलें भी) खनिज मानव और प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है।
कुछ जिलों में तो पर्याप्त डिग्री कॉलेज, इंटर कॉलेज तथा प्राथमिक विद्यालय भी नही हैं। यहाँ आदिवासी और पिछड़ी जातियों की आबादी भी पर्याप्त है। इनकी बात छोड़ भी दी जाय तो सामान्य वर्ग की भी एक बड़ी जनसंख्या की आर्थिक स्थिति ऐसी नही है, कि बच्चे अपना घर छोड़ कर इलाहाबाद पढ़ने जा सके। इन जिलों की उच्च शिक्षा की रीढ़ पूर्वांचल विवि से २५६ महाविद्यालय सम्बद्ध हैं, जिससे सत्र में देरी होती है। कई बार इसकी वजह से इन महाविद्यालयों के छात्रों को अच्छे अवसर समय से अंकपत्र न मिलने के कारण छूट जाते हैं। इलाहबाद विवि (शहर से) बाहर के महाविद्यालयों को सम्बद्धता नहीं देता।
ऐसे में अच्छा होता यह विवि पूर्वांचल के किसी अन्य जिले में स्थापित किया जाता। अपेक्षाकृत विकसित इस जिले का इससे कुछ न बिगड़ता। जिससे इन पिछडे जिलों के गरीब छात्रों को अच्छी शिक्षा मिलती । साथ ही यहाँ का अकादमिक माहौल भी सुधरता (अच्छी शैक्षणिक गतिविधियों और विद्वानों के आगमन से)। विवि में नियुक्तियों से और तनख्वाह का कुछ हिस्सा तो कर्मचारी यहाँ खर्च ही करते, जिससे यहाँ की जर्जर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में मदद मिलती। सब-कुछ समरथ को मिले, कमजोर ताकता रहे, यह कहाँ का न्याय है। इन नीतियों से विषमता बढती है घटती नहीं।

मंगलवार, 8 जुलाई 2008

चुनाव और बनती -बिगड़ती दोस्ती.

लोकसभा चुनाव आने वाला है.अब नए रिस्तो के बनने पुराने में खामियों के दिखने और टूटने का समय आ गया है.इसी क्रम में वाम पार्टिया कांग्रेस से बहुत नाराज हो गई है (४ सल् बाद).उसमे अब केवल खामिया इनको दिख रही है.क्योंकि वोट तो चाहिए ही।

वाम पार्टियाँ काग्रेस की असफलता पर एक आरोप पत्र लाना चाहती है .लेकिन यह आज से एक-दो-तीन चार सल् पहले क्यों नही कर सकी.तब तो मंहगाई और अन्य विरोध के लिए एक औपचारिकता की जाती थी.सरकार की बातचीत (पार्टी )के बाद सरकार का कदम ही ठीक.रहता था ?ये भूलते हैं की सरकार केवल इनके समर्थन से चल रही थी.सरकार की चाय पर जनता की तकलीफों को ये कुर्बान कर देते थे।

ये चाय -पानी पार्टियाँ चीन के किसी भी (सिक्किम और अरुणाचल पर उसके रूख )सरकार पर दबाव नही बनाती की सरकार कदा प्रतिरोध करे,बल्कि सरकार पर अप्रत्यक्ष दबाव ही उसके पक्ष में बनाती हैं। आज चुनाव आया है तो इन्हे देश हित और जनता,तथा मंहगाई याद आ रही है सवाल यह है की यह इन्हे पहले क्यों नही याद आया.क्योंकि मंहगाई लगातार बढ़ रही है.और करार पर सरकार लगभग दो साल से काम कर रही है.सरकार ४ साल से इनके समर्थन से चल रही है.

शनिवार, 5 जुलाई 2008

बातें कैम्पस की

माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल की प्रवेश परीक्षा के परिणाम आज घोषित कर दिया गया.जिससे बेहतर शिक्षण के द्वारा नए पत्रकार तराशे जाने का रास्ता साफ़ होगया है.प्रत्येक पाठ्यक्रम के लिए लगभग २५ सीटें निर्धारित होने के कारन कुछ को अभी प्रतीक्षा सूची में रहना पनेगा।

नव आगंतुको का परिसर में विस्वविद्यालय के ब्लोग्गेर्स ,अद्यापकों और आपके वरिष्ठ साथियों की और से स्वागत है .