विचार

बुधवार, 13 जून 2018

भारतीय सेवा के कुछ पदों का विशेषज्ञों के लिए खोलना

भारतीय सूचना सेवा के अफसरों ने देश के लिये काफी काम किये हैं खास कर योजनाओं के क्रियान्वयन में। मगर इस सेवा के लोगों में शिथिलता आती जा रही है, खासकर नवाचार के संबंध में, कोई नया विचार अफसरों की ओर से आता नज़र नहीं आ रहा है जिससे बेहतर भविष्य की उम्मीद की जा सके। ज्यादातर घिसी पिटी परियोजनाएं ही सामने आ रही हैं जो थोड़े बहुत बदलाव से अरसे से चल रही हैं अब देश की जरूरत नवाचार और नवोन्मेष मांग रही है, खासतौर से विशेषज्ञता वाले क्षेत्र में।
  ऐसा लगता है कि तमाम योजनाओं में नवाचार की कमी की वजह अफसरों की सीमाएं हैं, अभी आईएएस बनने वाले अफसरों में बड़ी तादाद ऐसे लोगों की है जिनके पास तकनीकी विशेषज्ञता की कमी है और अब तमाम योजनाओं में तकनीक का इस्तेमाल होता है ऐसे में इसके लिए एक अलग चैनल तैयार करना पड़ा है जो अपने ईगो तालमेल की कमी आदि के कारण या तो नवाचार को सामने नहीं आने देता या फाइल में लटका देता है। इसके साथ निजी क्षेत्र में तम प्रतिभाएं ऐसी हैं जिनके पास नए विचार हैं, इनको सरकार को साथ जोड़ने की जरूरत है ताकि देश को उनका लाभ मिले।
इससे निपटने के लिए केंद्र सरकार ने अच्छी पहल की है। सरकार ने केंद्रीय सेवा के संयुक्त सचिव स्तर के तकरीबन 10 पदों पर सीधी भर्ती की योजना बनाई है, इससे इस सेवा में खुलापन आएगा, विशेषज्ञ नियुक्त किये जा सकेंगे। भर्ती चूँकि संविदा पर होगी इसलिए नौकरी बचाने के लिए इन्हें आउटपुट भी देना होगा।हमारे यहां कार्य संस्कृति ऐसी बन गयी है कि नियमित स्टाफ कार्य करने की कोशिश भी नहीं करना चाहता नहीं तो लोगों दफ्तरों के चक्कर न लगाने पड़ते। उदाहरण सामने है देश में सरकारी विभागों कंपनियों का हाल देख लीजिए वो ज्यादातर नुकसान में ही होंगी वही कर्मचारी निजी कंपनी के कर्मचारी के रूप में कार्य करने लगते हैं तो आउटपुट देने लगते हैं। ऐसा लगता है कि सोच बन गई है कि अधिकार चाहिए बेशुमार काम के लिये न ठहराओ जिम्मेदार।
बहरहाल कुछ विघ्नसंतोषी लोगों को इस पर भी सुबहा है। ये इसको भी आरक्षण से जोड़कर देख रहे हैं मगर प्रशासनिक सेवा पर सवाल तो है। कुछ लोग समझ रहे हैं कि इससे दिक्कत आएगी, मगर मेरा कहना है कि इन विशेषज्ञों के बॉस तो नियमित आईएएस ही रहेंगे हालांकि चैनल काफी ऊपर का होने से सरकार की निगरानी रहेगी और इनकी फाइल आईएएस बेवजह लटका नहीं पाएंगे। इसलिए मुझे तो यह कदम ठीक लगता है। अब भला डीआरडीओ और मेडिकल में कामकाज की जीम्मेदारी इस फील्ड से इतर के व्यक्ति को दे देंगे तो उसका क्या हाल होगा। इस हिसाब से सरकार के इस कदम का स्वागत किया जाना चाहिए। 
रही बात इससे आईएएस के नाराज होने की तो हो सकता है कि ये विचार भी किसी आईएएस का ही हो और यह भी की इसी नाराजगी और कुछ मामलों में अप्रभावी होने की ही वजह से तो सीधी भर्ती की जरूरत पड़ रही है।