विचार

बुधवार, 18 फ़रवरी 2009

बंदिशों में है आजादी.

चुनाव आयोग ने चुनाव पूर्व सर्वे पर ४८ घंटे पूर्व रोक लगा दी है....यह प्रेस की अभिव्यक्ति की आजादी और जनता के सूचना के अधिकार दोनों पर बंदिश है...क्योंकि जनता के पास क्या इतनी ताकत (अधिकार)यह जानने की नही होनी चाहिए की उसका वोट असर कारक हो रहा है की नही.और नही हो रहा है तो अगले चरण में उसके लिए एकजुट होकर परिवर्तन की डगर पर चलने के लिए पहल कर सकें. या नेता यह मानते हैं की जनता इतनी बेवकूफ है की हर घटना का उसपर बुरा असर ही पड़ेगा....जबकि संविधान सभा में जब मताधिकार केवल पढ़े लिखे लोगो को देने की बात की गई तो नेहरू जी ने कहा था....जो अनपढ़ जनता अपनी आजादी के लिए लड़ सकती है.वह बुद्धिमान है और उसे भी अधिकार मीलना चाहिए.....फ़िर परदा क्यों॥यह शायद इसी देश में सम्भव है की एक साथ कोई चीज दी भी जाती है और नहीं भी।मतलब हम भूलें रहें इसके लिए झून्झूना पकडाया जाता है लेकिन उसमे से आवाज नही आएगी वह शोपिश ही रहेगा....इससे पूर्व सरकार ने भी इसी तरह के दिशा निर्देश जारी किए थे॥
निर्वाचन आयोग ने मीडिया के लिए विस्तृत दिशा निर्देश जारी करते हुए कहा है, "चुनाव के दौरान यदि मतदाताओं के बीच जनमत सर्वेक्षण किया गया है तो एक चरण में होने वाले चुनावों में इसका प्रकाशन या प्रसारण पर मतदान ख़त्म होने के 48 घंटों पहले से रोक लग जाएगी."
कई चरण में होने वाले चुनाव के लिए यह रोक अंतिम चरण का मतदान ख़त्म होने तक जारी रहेगा ........निर्वाचन आयोग
आयोग के अनुसार, "यह रोक प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक दोनों मीडिया पर रहेगी"