विचार

बुधवार, 10 अक्तूबर 2018

बुंदेलखंड का आध्यात्मिक और पर्यटन का केंद्र है दतिया


मध्यप्रदेश के दतिया जिले में स्थित मां पीतांबरा का मंदिर एक सिद्धपीठ है। यह मंदिर बुंदेलखंड की आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र है। वैसे तो देश विदेश से लोग यहां दर्शन करने आते हैं, मगर बुंदेलखंड क्षेत्र के लोग तो नियमित दर्शन पूजन करते हैं। तमाम लोग दिल्ली तक से आते जाते हैं। वैसे तो आछ्छे काम पूजा के लिए हर समय पवित्र है और नवरात्र आदि शक्ति को प्रिय है पर शनिवार को यहां पूजा अर्चना खास माना जाता है। इस मंदिर के संचालन का कामकाज देखने वाली ट्रस्ट की प्रमुख राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया हैं। मंदिर की खास बात यह है कि आमतौर पर दूसरे प्राचीन मंदिरों में पुजारियों की ओर से रुपये का चढ़ावा को लेकर जो लालच और अनुचित व्यवहार दिखता है यह इस मंदिर में नज़र नहीं आता। मां पीताम्बरा पीले वस्त्रों में रहती हैं और बगलामुखी का रूप मानी जाती हैं।

  इसलिए यहां पीले वस्त्र में अनुष्ठान करते हैं राज सत्ता की चाहत रखने वाले और दुश्मनों से रक्षा की गुहार लगाने अक्सर भक्त यहां हाजिरी लगाते हैं। मंदिर में पूजा पाठ के लिए काफी स्पेस है। सबसे बड़ी बात शक्ति के विभिन्न स्वरूपों के साथ शिव के भी विभिन्न मंदिर है। सम्भवतः यह शिव पार्वती दंपति के प्रेम का प्रतीक है। शक्ति के जल्द क्रोधित होने वाली स्वरूप धूमावती मां का मंदिर भी है मगर ज्यादातर यह बंद ही रहता है यह 7.30 baje शाम को आरती के समय ही खुलता है।

  यहां भक्तो के लिए रहने और नाश्ते आदि की भी व्यवस्था है मगर अब यह सुविधा सिर्फ नियमित भक्तों को मिलती है बहुत कम शुल्क पर । पहले सभी को यह सुविधा उपलब्ध थी मगर आने वाले लोगों के कर्मचारियों से दुर्व्यवहार की वजह से यह सुविधा अन्य के लिये बंद कर दी गयी। हालांकि यहां रुकने के लिए अन्य होटल आदि मिल जाएंगे।  


 दतिया में बहुत कुछ है देखने लायक: सिद्धपीठ के अलावा भी दतिया में देखने लायक बहुत कुछ है। राजा वीर सिंह का 16 विन शती में बनवाया गया सात खंडा महल। यह महल 7 तल वाला है किंवदंती यह है कि इसमें 7 तल अंदर ग्राउंड भी हैं मगर पुरातत्व बिभाग वाले सुरक्षा कारणों से इसे बंद रखते हैं दीवाली पर सफाई के लिए ही मजदूर निचले हिस्से में जा पाते हैं वो भी 1 तल। बाकी दिनों में महल के ऊपरी हिस्से में लोगों को आने जाने दिया जाता है। महल के दो तरफ तालाब है जिससे नहाकर महल की ओर आने वाली हवा से भीषण गर्मी में भी आपको यहां गर्मी महसूस नहीं होगी। साथ ही इससे पूरे शहर का नज़ारा देखा जा सकता है। और तालाब इस शहर को खूबसूरत बनाते हैं। वीर सिंह के वंशजो का किलानुमा घर भी है मगर वो आमलोगों के लिए शायद बंद है वहां राजा के परिजन रहते हैं।


  https://datia.nic.in पैलेस भी यहीं है इसे राजा शत्रुजीत बुंदेला ने बनवाया था। महाभारत कालीन वनखण्डेश्वर मंदिर भी यहीं है। आसपास भी बहुत कुछ:दतिया से 12 किलोमीटर दूर सोनागिरी जैन धर्म का तीर्थ स्थल है। दतिया से 17 किलोमीटर दूर पराग ेेतीहसिक काल का उन्नाव बालाजी मंदिर है। 55 किलोमीटर दूर घने जंगल में रतनगढ़ माता का मंदिर है। दिल्ली की तरफ से आने पर 69 किलोमीटर पहले ग्वालियर है, जहां किला, सिंधिया पैलेस, झांसी की रानी पार्क, तानसेन की मजार, तिघरा डैम आदि दर्शनीय स्थल हैं। दतिया से 34 किलोमीटर दूर झांसी और 52 किलोमीटर दूर ओरछा है यहां भी काफी दर्शनीय स्थल हैं कुल मिलाकर समय हो तो यहां और आसपास इतने दर्शनीय स्थल हैं अलग अलग तरीके की सोच वालों को जो दीवाना बना दे। कैसे पहुंचे:दतिया दिल्ली मुम्बई रेल रुट पर है। यह दिल्ली से 325 किलोमीटर दूर तो भोपाल से 320 किलोमीटर दूर है। इस रूट पर ट्रेन तकरीबन समय पर चलती हैं। एक अच्छी ट्रेन ताज एक्सप्रेस है सिटिंग ac aur non ac भी है, मगर सीट बस से आरामदायक है। और भी कई अच्छी ट्रेन है। बस की भी सुविधाएं भी हैं।

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