विचार

शुक्रवार, 23 मई 2008

एड्स पर वर्कशॉप /विज्ञप्ति

आज २३ मई ko भोपाल के पलाश रेजिदेंसी होटल में मध्य प्रदेश राज्य एड्स कंट्रोल सोसाइटी द्वारा मीडिया के छात्रों के लिए एड्स पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया .जिसमें मीडिया के अनेक धुरंधरों और विषय विशेषज्ञों ने छात्रों को इस विषय पर रिपोर्टिंग करने की जरुरत और बारीकियाँ सिखाई।

इस कार्यशाला में शैलेश जी (एक्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर आज तक )दीपक तिवारी (ब्यूरो प्रमुख म०प्र,द वीक )ललित शास्त्री (द हिंदू )परियोजना संचालक मध्य प्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी डाक्टर ब्रजेन्द्र मिश्रा भोपाल मेडिकल कालेज ,डाक्टर सक्सेना ,डाक्टर सोमा बोस और डिप्टी (एम् पी एस सी एस)उपस्थित थे।

सक्सेना जी ने अपने पॉवर पॉइंट प्रजेंतेसन में एड्स की गंभीरता के विषय में बताया .उन्होंने आगे बताते हुए कहा की यू एन के मिलेनियम गोल की असफलता की एक बड़ी वजह केवल यह बिमारी बनती दिख रही है.क्यों की दक्षिण अफ्रीकी देशों में इसके कारण किसी घर में कुछ बुधे बचे हैं .तो कुछ घरों में एक महिला या एक पुरूष बचे हैं.इसके संक्रमण की दर प्रत्येक जगह एक समान नही हैं.इससे लोंगों की जीवन प्रत्याशा घटी है.अनाथों की संख्या बढ़ रही है.विधावावन की संख्या में द्ब्रिद्धि हो रही है.क्योंकि उत्पादक जनसंख्या इसकी चपेट में आकर ख़त्म हो रही है।

डाक्टर ब्रजेन्द्र मिश्रा ने एड्स के फैलनेके कारणों और लक्षणों को बताते हुए कहा पत्रकार समस्या को समझाने की कोशिश नही कर रहे हैं.उनको हमारा साथ देना चाहिए.आगे बताया एड्स ४स्तेज् में फैलता है.(एक)बारह सप्ताह में इसके लक्षण को जाना जा सकता है (दो)३-५ साल (तीन) ५- ८ साल (चार)८-१२ साल इसके लक्षणों कोभी बताया जिसमें ६ माह के भीतर बालों का सफ़ेद होना ,दातों का टूटकर गिरना शरीर पर चकत्ते पड़ना.वजन का अचानक १० प्रतिशत से ज्यादा गिरना.लेकिन इसी से यह नही माना जा सकता की एड्स है क्योंकि ऐ चीजें दूसरी ब्मारियों का भी लक्सन है.इसकी अभी कोई वैक्सीन नही बन पायी है क्योंकि एच ई वी ,सी दी ४ कोसिकाओं पर ही हमला कर ता है और उसी से वैक्सीन बननी है.नेवार्पिं दवा से लीवर पेन के समय यह दवा पीड़ित महिलाओं को देकर होने वाले बच्चे में संक्रमण की संभावना को कम की या जा सकता है।

उप निदेशक जी ने कहा इस बिमारी के विषय में सूचना तो बद्ढ़ रही है लेकिन जागरूकता नही.जागरूकता आने से व्यवहार में परिवर्तन आता है सूचना से नही.व्यवहार में परिवर्तन लाने से हमें इसके ख़िलाफ़ सफलता मिलेगी.जिससे इससे लड़ने में सफलता नही मिल पा रही है .महिलाओं में इसके बद्ढ़ ने का कारन उन्होंने महिलाओं में निर्णय लेने का अधिकार ना होना और समाज के धाचे को जिम्मेदार बताया जिससे यह राक्षस इंको आसन शिकार बना रहा है.इस पर चर्चा होनी चाहिए।
दीपक जी ने बताया इसकी रिपोर्टिंग करते समय भवि पत्रकारों को ध्यान देना चाहिए पीड़ित को अपराधी कितारह नही पेश करना चाहिए बल्कि उसे सर्वैवल की तरह पेश करे.परिवार का मान मर्दन न ho .एक अच्छा मनुष्य ही एक अच्छा पत्रकार बन सकता है(स्थान के अनुसार)

ललित जी ने रिपोर्टिंग करते समय पत्रकारों को सूचनाओं की मानीटरिंग के साथ विशेश्ग्यीय दृष्टि रखने और दैनामिक दैलाग स्थापित करने की सलाह दी।

शैलेश जी ने सलाह दी की पत्रकार ख़बर प्रस्तुत करते समय प्रस्तुति ऐसी रखें जिससे पाठक दर्शक उसमें इन्वाल्व हों.मानवीय पहलू केस स्टडी पर ध्यान देंताक्निकी रिसोर्स पर्सन से भी सम्पर्क बनाएं .उत्तरदायित्व का भाव सदा रहना चाहिए.