विचार

सोमवार, 12 मई 2008

आस-पास(अपील )

मेरे वरिष्ठ ब्लॉगर भाइयों (मेरे विभाग के )ब्लॉग बनाने के बाद आप कितना थक गए की पोस्ट करना छोड़कर आराम फरमाने लगे?जब उम्र साथ नही दे रही थी तो इस कठिन काम की शुरुआत ही क्यों की?
साहिबानों आपकी लेखनी में जादू है.आपकी लेखनी से निकले शब्दों को एक नजर देख लेने के लिए" जल बिनु मछली "जैसे पाठक तड़प रहे हैं.इसलिए अपनी थकान का ध्यान छोड़कर लिखना शुरू कर दीजिए.आशा है आप अपने पाठकों पर रहम करेंगे।


- व्यथित

2 टिप्‍पणियां:

अविनाश वाचस्पति ने कहा…

शब्‍द ही ब्रह्म है
अहं भी ब्रह्म है

PRAVIN ने कहा…

shabd men mangal aur amangal dono karne ki shakti hoti hai.lekin ahm ki parinati antatah amangal men hi hoti hai.aham manushya ke hriday men sthit ek bhav hai jo apane anukool mahaul men uddipt ho uthata hai.lekin yah shaswat hai aisa kahane men shanshay hota hai.jab ki shabd ko is cheej ki manyata hai.fir aham ko brahm kaise maane?