विचार

रविवार, 25 नवंबर 2018

नेताओं के बिगड़े बोल : राजनीतिक प्रदूषण पर कब बात शुरू होगी


देश में पर्यावरण प्रदूषण और गंगा के प्रदूषण पर कम से कम बात शुरू हो गई है, मगर एक और प्रदूषण जो हमारी जिंदगी को प्रभावित करता है उसको लेकर समाज में सुगबुगाहट तक नहीं है। देश की राजनीति में शुचि अशुचि का भेद मिटता जा रहा है। यह किसी भी समाज के लिये चिंताजनक होना चाहिए क्योंकि सामाजिक विकास की प्रक्रिया में यही प्रकाश स्तम्भ का कार्य करता है, इन्हीं राजनेताओंकी सोच के प्रकाश में दूसरे लोग आगे बढ़ते हैं। यह पहले भी हुआ है, आज के युग में भारत, पाकिस्तान उदाहरण हैं तो सभ्यता की शुरुआत करने वाले या मिलजुलकर रहने की पहल करने वाला कोई एक ही रहा होगा, बाकी लोगों ने उसे अपनाया। क्योंकि सब की एक बराबर बौद्धिक दृष्टि संभव नहीं है। बहरहाल एक जमाने में कांग्रेस के भीतर ही नरम दल और गरम दल बन गए थे। क्रांतिकारियों की शैली पर भी लोगों में मतभेद थे। इन सबके नेता एक दूसरे का सम्मान भी करते थे। नेहरू जी के समय में भी पार्टी के भीतर किसी असहमति पर उसी पार्टी के सांसद कवि दिनकर लिख सकते थे कि सिंहासन खाली करो कि जनता आती है....मगर इतने अरसे बाद लगता है देश में राजनेताओं की सोच ही प्रबंधित हो गयी है न उनके पास इतने शब्द हैं औऱ न ही अपने अनुयायियों के नेतृत्व कर सकने की क्षमता की वो लोगों को अपनी बातें समझा सकें। नतीज़तन लोक तंत्र भीड़ तंत्र में तब्दील होता जा रहा है भीड़ के आगे दलों और सरकारों के घुटने टेकने के नज़ारे आम हैं। अब सत्ता में आने के लिए और बने रहने के लिए संगठित बिना समझ के काम करने वालों की भावनाओं का पोषण नेताओं की जैसी मजबूरी बन गयी है, या नेता खुद ही ऐसा समाज बनाना चाह रहे हैं जो आसान भले गलत रास्ता हो उसकी ओर भागे। वो सवाल करने लायक ही न रहे बस मन की दो बातों से ही वो अपने में ही पागल हो जाय। इन सबके सम्मिलित प्रभाव से राजनीतिक प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। अब एक दूसरों को कोसने में शब्दों की मर्यादा की दीवार टूटती जा रही है। ये इनके बोले हुए शब्दों के दुष्प्रभाव की चिंता भी नहीं कर रहे। राजनेताओं में भी असहिष्णुता बढ़ती जा रही है। अभी महज कुछ सालों पहले समाजवादी पार्टी के सबसे बड़े नेता और पूर्व मुख्यमंत्री ने रेप की घटनाओं पर कहा था ये लड़के है...गलतियां हो जाती हैं। यह बयान अमर्यादित था मगर वो वोट के दबाव में घुटने टेक दिये। दरअसल उसी दरम्यान उनके ही क्षेत्र में उनकी जाति के दबंग पर रेप का आरोप लगा था और वो अपने जाती के लोगों पुरुषों के साथ हर हाल में साथ रहने का संदेश दे रहे थे क्योंकि वो जानते हैं कि हमारे समाज में आज भी फैसले मर्द ही करते हैं। कुछ साल पहले चुनाव रैली में कांग्रेस पार्टी की पुर्व अध्यक्ष ने गुजरात के मुख्यमंत्री को मौत का सौदागर तक कह दिया था, उस दौरान वे एक धर्म विशेष के लोगों को डरा रहीं थी। वहीं शायद 2014 के आसपास बीजेपी के अब के बड़े नेता ने कांग्रेस नेता की गर्ल फ्रेंड को लेकर 50 लाख की गर्ल फ्रेंड का जुमला उछाला था, यह भ्रष्टाचार और उनके अभिजात्य पर वार करने के लिए अपने वोटबैंक को और उग्र करने के लिए था। यह प्रदूषण बढ़ते बढ़ते सड़ांध के स्टार तक पहुंच गया है। आजकल कांग्रेस के अध्यक्ष राहुलगाँधी अक्सर सभाओं में चौकीदार ही चोर है का जुमला उछालते हैं दरअसल प्रधानमंत्री खुद को अक्सर जनता का चौकीदार कहते हैं ऐसे में उनको घेरने के लिए करते हैं। यह शायद कुंठा का भी मामला है कि पुर्व की उनकी पार्टी की सरकार जाने की एक बड़ी वजह भ्रष्टाचार भी था जिसने जनता को बदलने के लिए प्रेरित किया। अब कीचड़ की होली ही शुरू हो गयी है ताकि कोई साफ न दिखे। और बातें सब हवाहवाई ही हो रही हैं। यह सब एक व्यक्ति से नाराज वोटों को साधने के लिए हो रहा है। इसलिए विजेता पर हमले ज्यादा हो रहे हैं। किसी को ये चिंता नहीं है कि ये प्रदूषण कैसे रूकेगा। कुछ दिन ही पहले एक चुनावी रैली में यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष राज बब्बर ने प्रधानमंत्री को मनहूस कह दिया। ये प्रदूषण यही नहीं रुक एक अन्य रैली में राजस्थान मचुनाव में एक सभा में स्थानीय प्रत्याशी और कांग्रेस प्रत्याशी सीपी जोशी ने प्रधानमंत्री की जाती तक पूछ डाली यह ब्रामण मतदाताओं को गोलबंद करने के लिए किया गया।हालांकि नेता लोगों को वो देना चाह रहे हैं जो शायद उन्हें चाहिए भी नहीं और उन्हीं के नाम पर। यह लिस्ट यहीं खत्म नहीं होती। एक आंदोलन से निकली आम आदमी पार्टी के नेता काम बेलगाम नहीं हैं। मंत्री रह चुके इस पार्टी के नेता को एक चैनल की एंकर की बात उतनी बुरी लगी वहां पर जाकर बैठने की बात कह दी कि यही मर्द दिन के उजाले में भी जाने में घबराते हैं। शर्मनाक यह है है कि इस मामले में उन्हीं की पार्टी के महिला नेता के माफ़ी की मांग करने पर दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल समेत पुरी पार्टी उस पर ही टूट पड़ी और दो महिलाओं का नाम लेकर पहले उसको न्याय दिलाने की नसीहत देने लगी कि जैसे तब तक ये कुछ भी बोलते रहेंगे कोई चाहे कुछ भी कर ले। ये लिस्ट इतनी छोटी नहीं है बिहार भाजपा अध्यक्ष नित्यानंद रॉय का प्रधानमंत्री की ओर उंगली उठाने पर उँगली तोड़ने का बयान,कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह का अपनी ही पार्टी के महिला नेता को टंच माल कहना, बीजेपी सांसद नेपाल सिंह का एक मौके पर ये सेना के जवान है जान तो जाएगी ही,इसके अलावा भी बीजेपी के तमाम नेता विवादित बयानों और कई बार हिन्दू मुस्लिम मुद्दों पर सुर्खियों में रहता है। यह प्रदूषण समाज को प्रभावित कर रहा है इसलिए जनता को ही इसे रोकने आगे आना होगा। क्योंकि सारा खेल उसी के नाम पर हो रहा है। और समाज की इस पर चुप्पी थी नहीं है उसे इन नेताओं को बताना होगा कि वो यह नही चाहते।

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