विचार

गुरुवार, 15 नवंबर 2018

अफरीदी का ब्रिटिश संसद में बयान इमरान पर निशाना


अपनी बल्लेबाजी से एक दौर में सुर्खियों में रहने वाले पाकिस्तान के बल्लेबाज अफरीदी ब्रिटिश संसद में छात्रों को दिए बयान को लेकर सुर्खियों में हैं। इससे संबंधित जो वीडियो सामने आ रहा है उसमें कश्मीर की हताशा के साथ जो प्रमुख बात सामने आ रही है वो बात अंतरराष्ट्रीय मामले से ज्यादा उनकी घरेलू राजनीतिक स्थिति को इशारा कर रही है। दरअसल वीडियों में अफरीदी कहते नज़र आ रहे हैं कि पाकिस्तान से उसके ही चार प्रांत संभल नहीं रहे हैं। यह तीन महीने पहले गठित पाकिस्तान सरकार के मुखिया पर पहला अप्रत्यक्ष बड़ा हमला है, जिसमें ३ महीने में किसी बदलाव का नजर आना तो दूर उस दिशा में बढ़ने की बात भी नजर नहीं आ रही है। इससे पाकिस्तानियों में असंतोष पैदा हो रहा है। दरअसल चुनाव जीतने के लिए इमरान ने जो दावे कर डाले थे उसके उलट ही कार्य करते नजर रहे हैं। चुनाव के दौरान उन्होने विदेशी कर्ज लेने की पुरानी सरकारों की कड़ी आलोचना की थी मगर अपनी बुनियादी पूंजी भारत दुश्मनी में जेहादी ताकतों और आतंकियों के हाथों लुटा बैठे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को दर दर सहायता मांगने के लिए भटकना पड़ रहा है। ३ महीने में ही वो सहायता के लिए सऊदी अरब और चीन तक का चक्कर लगा आए हैं। सऊदी ने तो उनकी कुछ सहायता की मगर सदाबहार दोस्त चीन से कुछ ठोस आश्वासन नहीं मिला इसने इमरान, पाकिस्तान और पाकिस्तान आर्मी की जग हंसाई कराई क्योंकि इमरान को पाकिस्तान सेना का पूर्ण समर्थन माना जाता है। वहीं पाकिस्तान के रुपए का फिसलना जारी है, जिसको लेकर इमरान दूसरी सरकारों पर तंज कसते थे, परिणाम तो दूर वहां के वित्त मंत्री असद उमर अभी ऐसे उपाय भी नहीं कर पाए हैं कि बाजार में कुछ उम्मीद ही पैदा हो जिससे पाकिस्तानी रुपया जितना गिर चुका है वहीं संभल सके। महंगाई बढ़ ही रही है, जिसके आई एम एफ से कर्ज लेने के बाद और बढ़ने की आशंका पाकिस्तानी अवाम से मीडिया तक है । इसके एवज में वित्तमंत्री बस पुरानी सरकारों का दोष गिनाते नजर आते हैं अब तक कोई प्लान वो नहीं पेश कर सके है। इससे पहले की भी सरकारें अपने पूर्वर्ती पर दोष मढ़ के ही काम चला रही थीं। इसके अलावा राज्यों के हालात भी ठीक नहीं है बुनियादी सुविधाएं तो है नहीं इनके पाले जेहादी अब इन्हीं को आंखे तरेर रहे हैं, वो जब चाहते हैं पूरे पाकिस्तान को बंधक बना लेते हैं, वहां किसी के जीने कि कोई गारंटी नहीं दे सकता। एक से अधिक गिरोह होने से हालात और मुश्किल हो गए हैं। साथ ही पाकिस्तान असमंजस की स्थिति में है। इससे अवाम की उम्मीदें टूट रही हैं। इसलिए संभवतः पाकिस्तानी राजनीति में उतरने की कोशिश कर रहे अफरीदी वीडियो में अपनी जगह बनाने और अपने समर्थकों को एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं। अब महत्वपूर्ण है इमरान पर निशाने के लिए जगह के चुनाव की। दरअसल पाकिस्तान मीडिया में अब भी इमरान को कुछ और समय दिए जाने का एक सामान्य विचार है। इसलिए इस तरह के बयान को ज्यादा तवज्जो नहीं मिलने की आशंका थी। साथ ही इमरान को सेना का भी समर्थन है, इससे अफरीदी को विश्वास रहा होगा कि यूके में इस तरह का बयान देने से उसे मीडिया में जगह भी मिलेगी और उनके समर्थकों, imran sarkar और अवाम को भी संदेश पहुंच जाएगा। ऐसा हुआ भी, अफरीदी के बयान के पक्ष विपक्ष और विवेचना संबंधी प्रतिक्रिया आने लगीं। इधर भारतीय मीडिया के कश्मीर पर उनके बयान को लेकर ज्यादा तवज्जो का उन्होंने खंडन भी कर दिया। कुल मिलाकर वो यूके में छात्रों नहीं अपनी अवाम से ही रूबरू थे। इसमें हो सकता है उन्हें सेना का भी समर्थन हो क्योंकि ३ महीने में कुछ बदलाव आता नजर नहीं आ रहा है। और इमरान सरकार को सेना का पूर्ण समर्थन माना जाता है, ऐसे में इमरान की असफलता की तोहमत से सेना बच नहीं सकेगी। इससे सेना एक मोहरे के पीटने से पहले दूसरा तैयार कर लेना चाहती हो। अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं के नेताओं कि छबि जैसी बिगाड़ी जा चुकी है इसलिए सेना ने आगे बढ़ने का इरादा किया होगा। जैसा कि विदित है कि पाकिस्तान कि राजनीति हो या सेना सर्वाइव करने या जगह बनाने के लिए कश्मीर का शोशा उड़ाने की जरूरत होती है ऐसे में अफरीदी का बयान उसी की फेहरिस्त का बस एक नया नाम भर है। इमरान से लेकर पूर्वर्ती नेताओं तक सबने यही किया। अब असल चुनौती इमरान की है अब उन्हीं की पिच पर संभवतः अफरीदी खेलने और चुनौती देने की कोशिश कर रहे हैं। ये भी क्रिकेटर हैं इमरान की तरह अनुयायियों की तादाद अच्छी है, पाकिस्तानी क्रिकेट का नाम बढ़ाने वाला नाम, राजनीति में न होने से दामन पर दाग नहीं, कश्मीर राग गाने को तैयार और भारत दुश्मनी की बात कर सेना का समर्थन पाने की जुगत सारा खेल हूबहू इमरान का। अब तो शायद उन्हें बस इमरान के असफल होने का इंतज़ार हो । अफरीदी गेंदबाज भी हैं तो सम्भवतः शुरू हो जाएं खेल में। अब इमरान के पास विकल्प कम हैं पाकिस्तान की आर्थिक हालत सुधारने के लिए एक तो दीर्घकालीन प्रयास की जरूरत है, दूसरे कारोबारी माहौल बनाने के लिए जेहादियों से मुक्ति पानी होगी यह मुश्किल होगी क्योंकि इमरान के सिर पर ताज सजाने में इनकी अहम भूमिका रही है और इमरान भले ही पाकिस्तान को वर्ल्ड कप jitaen हों सेना उन्हें स्टेट्समैन नहीं बनने देगी। ऐसे में इमरान छोटे विकल्प भारत दुश्मनी को पूर्ववर्तियों की तरह आजमा सकते हैं। इससे भारत सरकार और उसकी एजेंसियों को सजग रहना होगा। इधर अफरीदी अपने लिए मौके देख रहे हैं और उन्होंने दबाव बढ़ा दिया है। आमतौर पर खिलाडी राजनीतिक विषयों से दूर रहते हैं, मगर अफरीदी पाकिस्तान में मानवाधिकार उल्लंघन की तरफ से आंख बंद कर कश्मीर को लेकर सुर्खियों में रहने का शगल संभवतः इसीलिए पाल रहे हैं। बहरहाल पाकिस्तान में इमरान की चुनौती बढ़ है।

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