विचार

बुधवार, 2 जनवरी 2019

तस्वीरों में देखिए कुंभ की तैयारी और प्रयागराज की भव्यता


अभी देश की colourfull city का नाम लेते ही आपके जेहन में गुलाबी नगरी यानी pink city जयपुर का खयाल आता होगा। पर नए साल पर आप इलाहाबाद आएं और रंगीन मकानों, सरकारी संपत्तियों और हर्ष से भरे मस्त लोगों को देखें तो हैरान मत होइएगा। दरअसल यह आपका प्रयागराज ही है, जिसे अर्ध कुंभ २०१९ में आपके स्वागत और आध्यात्मिक खुशियां देने के लिए संवारा गया है। आखिर हो भी क्यों न , अंदर और बाहर की चुनौतियों से जूझ रहे हिंदू समाज के लिए हर्ष प्रकट करने का सबसे बड़ा आध्यात्मिक उत्सव है कुंभ।


  कुंभ मेला है क्या: कुंभ पर्व हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु कुंभ के दौरान स्नान करते हैं । यह मेला देश में चार स्थानों पर हर बारहवें वर्ष हरिद्वार, प्रयाग, उज्जैन और नासिक में बारी बारी से लगता है। इसके अलावा प्रयाग में हर छठे वर्ष अर्ध कुंभ लगता है। प्रयाग में पिछला कुंभ २०१३ में लगा था। इस तरह २०१९ में प्रयाग में लग रहा यह मेला अर्धकुंभ है, जिसे सरकार कुंभ की तरह आयोजित कर रही है । खगोल गणनाओं के अनुसार यह मेला मकर संक्रांति के दिन प्रारम्भ होता है, जब सूर्य और चन्द्रमा, वृश्चिक राशि में और वृहस्पति, मेष राशि में प्रवेश करते हैं। मकर संक्रांति के होने वाले इस योग को "कुम्भ स्नान-योग" कहते हैं और इस दिन को विशेष मंगलकारी माना जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन पृथ्वी से उच्च लोकों के द्वार इस दिन खुलते हैं और इस प्रकार इस दिन स्नान करने से आत्मा को उच्च लोकों की प्राप्ति सहजता से हो जाती है। 


इतिहास : भारत में नदी मेलों का इतिहास हजारों साल पुराना है विकिपीडिया के मुताबिक इतिहासकार एस बी रॉय ने भारत में अनुष्ठानिक नदी स्नान को १०,००० ईसापूर्व (ईपू) बताया है। इसके अलावा बौद्ध लेखों में ६०० ईपू नदी मेलों की उपस्थिति बताई है। वहीं सम्राट चन्द्रगुप्त के दरबार में आए एक यूनानी दूत ने देश में ४०० ईपू एक नदी मेले का जिक्र किया है। क्या होता है कुंभ मेला: वैसे तो हर साल प्रयाग में गंगा नदी के किनारे मकर संक्रांति से मेला लगता है। यहां देश के कोने कोने से हिंदू श्रद्धालु आते हैं और डेढ़ महीने यहीं रहकर गंगा स्नान और धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। कुंभ में आयोजन बड़ा हो जाता है।। चूंकि माइथोलॉजी पुनर्जन्म की धारणा पर चलती है और अच्छे फल या जीवन के लिए पुण्य करने पर जोर देती है, जिसके लिए अच्छे सामाजिक और धार्मिक कार्य करने होते हैं जिससे पुण्य अर्जित हो। जिसका लाभ अभी और अगला जन्म लेने पर मिलता है। इसके लिए सामान्य हिंदू से लेकर तमाम धर्मगुरु तक एक सतह पर बराबरी के साथ एक ही प्रक्रिया में भाग लेते हैं, चूंकि गंगा को हिंदू माइथोलॉजी में पाप नाशिनी और सभी नदियों में श्रेष्ठ माना जाता है और प्रयाग (माइथोलॉजी के मुताबिक संसार की रचना का कार्य करने वाले देवता ब्रह्मा ने इंसान के कल्याण के लिए यहां प्रकृष्ट्याग यज्ञ किया था जिसका असर इसके बाद भी रहना था इस वजह से शहर का नाम प्रयाग पड़ा)गंगा नदी किनारे पड़ता है इसीलिए यहां लगने वाले मेले का महत्व बढ़ जाता है। इसके अलावा कुंभ मेला लगने की वजह बताने वाली प्रचलित कहानियों के विषय में मैंने एक पोस्ट में जिक्र किया है। फिलहाल यहां इन डेढ़ महीनों में लोग पुण्य अर्जित करते हैं। इसके लिए यहां दिन भर धार्मिक कार्य, भजन कीर्तन, अनुष्ठान, सत्संग, प्रवचन, राम और कृष्ण की लीला,भंडारे चलते रहते हैं जहां कोई भी प्रसाद ग्रहण कर सकता है। मतलब साफ है कि डेढ़ महीने कम से कम इस क्षेत्र में भूखे पेट किसी को सोने की मजबूरी नहीं है। तमाम लोग रक्तदान शिविर, दान और अपने मत का प्रचार भी करते हैं मतलब सबकी बुनियाद में परमार्थ है। इस मेले में हिंदू धर्म के विभिन्न मतों शैव, शाक्त और तमाम अन्य शामिल होते हैं इसके लिए गंगा किनारे दोनों ओर तंबुओं का अस्थाई शहर बसता है जिसके लिए हर बुनियादी जरूरत सड़क बिजली पानी बैंक पोस्ट ऑफिस पुलिस सरकारी राशन की दुकान आदि कुल मिलाकर जितनी व्यवस्थाएं शहरों में मुहैया कराती है सब यहां होती है। इसके लिए साल भर काम चलता रहता है। सरकार खुद की योजना के प्रचार प्रसार के लिए प्रदर्शनी भी लगाती है। व्यापारिक प्रदर्शनी और दुकान भी लगती है। झूले और मनोरंजन के इंतजाम भी होते हैं।


https://kumbh.gov.in/hi/attractionshttps://brahmaastra.blogspot.com/2019/01/blog-post_12.html?m=1https://brahmaastra.blogspot.com/2019/01/blog-post_6.html?m=1https://brahmaastra.blogspot.com/2018/12/blog-post_26.html?m=1 मेले की बड़ा होने से इसके प्रबंधन पर अध्ययन करने विदेशी भी आते हैं। इस बार इसे और भव्य बनाया जा रहा है। इस बार मेला अरैल घाट से शुरू होकर लोगों से मिली जानकारी परा कोके मुताबिक फाफामऊ के पास तक पहुंच गया है अंदाजन यह गंगा के विशाल पाट में तकरीबन 20 किलोमीटर क्षेत्र में फ़ैल गया है। आइए तस्वीरों में देखते हैं कुंभ की तैयारी: यह फोटो मेरे एक मित्र ने सोशल वेसाइट पर अपलोड की थी जिसे उसके किसी मित्र से मिली थी, अच्छी वस्तु का प्रसार हो इसलिए मैं ने सोचा इसे यहां भी साझा करनी चाहिए। आइए तस्वीरों में निहारते हैं प्रयाग कुंभ का सौन्दर्य।

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