विचार

मंगलवार, 8 जनवरी 2019

गरीब सवर्णों को दस फीसदी आरक्षण: मोदी ने खींच ली कांग्रेस के पैरों तले से जमीन


लोकसभा चुनाव की आहट के बीच एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों और सियासी प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक दलों को चौंका दिया। सोमवार को नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाले मंत्री परिषद ने देश के गरीब सवर्णों के लिए १० फीसदी आरक्षण का प्रस्ताव पास कर दिया। यह प्रधानमंत्री का ऐसा कदम है जिसकी राजनीतिक दलों को क्या मीडिया को भी भनक नहीं थी। यह ऐसी सियासी चाल है कि कांग्रेस के पैरों तले जमीन खिसक गई है। इससे पहले सत्ता के लिए कांग्रेस पार्टी सवर्ण वोट का समर्थन पाने के लिए जद्दोजहद कर रही थी। yahi कारण है कि विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मंदिर मंदिर घूमते नजर आ रहे थे। कांग्रेस प्रवक्ताओं की ओर से उनका गोत्र बताया जा रहा था तो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता की ओर से राजस्थान में ब्राह्मण के नाम पर वोट मांगा जा रहा था और प्रधानमंत्री पर आक्षेप भी किया जा रहा था। इसके साथ ही भाजपा को सवर्णों की नजर में विलेन बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही थी। इसका शुरुआती मौका उसे मिला सुप्रीम कोर्ट में पिछले दिनों आए एक निर्णय से। दरअसल, कोर्ट में एस सी एस टी का केस चल रहा था, जिसमें इस तरह के मामलों में जांच के बाद गिरफ्तारी की मांग की गई थी। जैसा की देश में तमाम कानूनों का दुरुपयोग होता है, यह अलग नहीं है। तमाम मामले ऐसे होते हैं कि दो पक्षों में विवाद में एस सी एस टी समुदाय के व्यक्ति को मोहरा बनाकर एक पक्ष को फंसा दिया जाता है, कोर्ट ने इसमें सवर्ण समुदाय के पक्ष में फैसला सुना दिया और कहा कि इन मामलों में जांच के बाद गिरफ्तारी की जाय जैसा की कोर्ट ने दहेज के मामलों में भी कुछ दिनों पहले रूलिंग दी थी। इसके बाद तो कांग्रेस और बिपक्षी दलों ने घेर लिया। इस फैसले केनलिए सरकार को दोष देने लगे। टीवी पर कांग्रेस के प्रवक्ताओं की ओर से कोर्ट के फैसले को सरकार की ओर से कानून को कमजोर करने की कोशिश karaar दिया और दलित संगठनों कोंभड़काया। नतीजतन पूरे देश में दलित संगठन सड़क पर उतर आए । उन्होंने कानून हाथ में लेकर तोडफ़ोड़ भी की। इन प्रदर्शनों को जमीनी स्तर पर कांग्रेस नेताओं का समर्थन था। इससे पसोपेश में पड़ी सरकार को दलितों के गुस्से को शांत करने के लिए अध्यादेश लाना पड़ा। अब कांग्रेस ने पाला बदल दिया। उसने इसके विरोध में प्रदर्शन की योजना बना रहे सवर्णों के संगठनों को भड़काना शुरू कर दिया। इनकी ओर से निकाले गए मार्च और प्रदर्शन को भी कांग्रेस कार्यकर्ताओं का समर्थन था और उसने केंद्र को विलेन बनाने की पूरी कोशिश की। इस बीच मध्य प्रदेश समेत ५ राज्यों में चुनाव की तैयारी थी और दलितोंके गुस्से को थामने के लिए मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिराजसिंह के इस बयान ने " कौन है माई का लाल जो एस सी एस टी कानून को कमजोर करे" के बयान से कांग्रेस ने भाजपा को अपने जाल में फांस लिया। एस सी एस टी कानून और आरक्षण दो ऐसे शब्द है जिसको लेकर दलित समुदाय अतिरिक्त सतर्क हो जाता है और पूरी बात सुने बिना ही प्रतिक्रिया देने लगता है। इससे इस वर्ग को बरगलाना आसान हो जाता है और दलित समुदाय इसको लेकर हमेशा भाजपा को शक की निगाह से देखता है। यह खिचड़ी एक बार कांग्रेस समेत विपक्षी डाल पका चुके थे, जब संघ प्रमुख के एक इंटरव्यू को तोड़ मरोड़कर पेश किए जाने के बाद भाजपा को बिहार में करारी हार का सामना करना पड़ा था। इधर अब दूसरे वर्ग को भी इसी मसाले के साथ बरगलाने मेंसफल रही। इस बीच तक सवर्ण भी किसी बात पर एकमत होने लगे हैं। वो भी वोट बैंक बनने के करीब है,हालांकि यह सोच में गरावत है अभी यहीं हांडी पक रही है। उन्होंने यूपी में सतीश मिश्रा की अगुवाई में मायावती को मुख्यमंत्री बनाने में भूमिका निभा कर अपनी ताकत पहचान ली थी। इससे शिवराज के बयान और अध्यादेश की जबरदस्त प्रतिक्रिया हुई। सवर्ण संगठनों ने जवाब में हम हैं माई के लाल का नारा दिया। इधर सभीराज्यों में सवर्णों के बड़े तबके ने दोनों तबके को भड़काने वाले दल को ही वोट दे डाला । नतीजतन ३ राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनी। कांग्रेस सवर्ण वोट बैंक पाने का खुमार उतार भी नहीं पाई होगी की केंद्रीय सरकार ने बड़ा दांव चल दिया है। गरीब सवर्ण को आरक्षण का मामला जल्द ही लोक सभा में आ सकता है। यहां इसके होने में ज्यादा दिक्कत नहीं आएगी। राज्यसभा में भाजपा सरकार का बहुमत नहीं है पर इतनी बड़ी आबादी की नाराज़गी मोल लेकर इस फैसले का विरोध करने की हिम्मत जुटाना कांग्रेस समेत अन्य दलों के लिए आसान नहीं होगा। इससे वोट का समीकरण भी फिर बदलने की उम्मीद है। हालांकि इसे विपक्षी दल पहले स्थाई समिति को भेजने का दबाव डालकर मामले को चुनाव तक लटकाने का प्रयास का सकते हैं या वे सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ जा सकते हैं। जिससे इसका श्रेय भाजपा के खाते में न जाय।पर खुलकर पर फैसला लेना आसान नहीं होगा। बहरहाल इससे सबसे बड़ा धर्म संकट कांग्रेस के सामने पैदा गया , जिस वोट बैंक सहारे वो सत्ता में आने ख्वाब देखने लगे थे पर मोदी को डोरा डालते देख नींद तो जरूर उड़ गई होगी। इससे पहले भी जाड़े में प्रधानमंत्री ने लोगों को चौंकाया था।

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