विचार

बुधवार, 26 दिसंबर 2018

दिव्य कुंभ : उम्मीद, आकांक्षा, हैरानी का कुंभ


प्रयाग में २०१९ के अर्धकुंभ की तैयारियां जोरों पर हैं। पूरा शहर दुल्हन की तरह सज रहा है। गंगा के पाटों पर पानी के पराभव के बाद रेती अपना वैभव पाती नजर आ रही है और जब देश आम चुनाव के मुहाने पर खड़ा है तो देश के बहुसंख्य समुदाय को प्रिविलेज देती समझी जाने वाली सरकारें क्यों पीछे रहेंगी। मकर संक्रांति पर १५ जनवरी को पहले गंगा स्नान से औपचारिक तौर पर शुरू होने वाले अर्ध कुंभ ने केंद्र की मोदी सरकार को पिछले दिनों लगे चुनावी झटकों को भुलाकर अपनी पिच पर विपक्षियों को खिलाने का मौका भी दे दिया है।

      मोदी ने इस रणनीति पर काम भी शुरू कर दिया है। मोदी अपने कामों की मार्केटिंग खूब करते हैं यह स्टाइल भारतीय राजनीति में नया है। इसके विरोधी भी खूब है तो इस अदा के समर्थक भी कम नहीं हैं। नतीजतन इसके आलोचकों को भी वही करना पड़ता है जिसकी आलोचना करते हैं हालिया कुछ समय से विपक्षी कांग्रेस पार्टी को अपने नेता राहुल गांधी की हिंदू धार्मिक स्थलों में पूजा करने की तस्वीर जारी करना एक बानगी है, जबकि ये नितांत व्यक्तिगत मामला है। मोदी सरकार के आने से पहले इफ्तार के फोटो के अलावा कांग्रेस पार्टी के नेताओं की ऐसी तस्वीर शायद ही दिखती रही हो। लोकसभा चुनाव २०१४ में हार के बाद कांग्रेस की ओर से गठित एंटनी समिति ने भी बहुसंख्यक की भावना की अनदेखी की ओर इशारा किया था लगता है कि कांग्रेस अनमने ही उसके सुझावों पर आगे बढ़ती नजर आ रही है। बहरहाल मोदी ने अपनी स्टाइल में काम शुरू कर दिया है। वैसे तो हर साल प्रयाग में एक माह रुककर आद्यात्मिक उन्नयन के लिए कल्पवास करने और परिवार माया से दूर ईश्वर की पूजा करने काम से कम संसाधनों में करने आते हैं। हर साल गंगा की रेती पर विशाल नगर बसता है और जाति पंथ के भेद रूपी मैल गंगा में ही विसर्जित कर देते हैं। पर छह साल पर लगने वाले अर्ध कुंभ और १२ साल के कुंभ की बात ही अलग है। इसलिए इस बार यहां १० करोड़ से अधिक लोगों के आने की उम्मीद और इंतजाम किए जा रहे हैं। इसके लिए कई काम पहली बार हो रहा है। यह केंद्र की मोदी और उसी पार्टी के योगी सरकार की छवि बदलने का भी मौका है इसलिए आस्था के साथ यह कुंभ उम्मीदों से भरा है। पहली बार कुंभ का लोगो जारी किया गया है। जिसे प्रधानमंत्री ने खुद जारी किया है। पहली बार प्रदेश सरकार की ओर से ५०० बसें चलाई जा रही है जो लोगों को अर्ध कुंभ में आने का निमंत्रण दे रही हैं।

    विभिन्न स्टेशनों पर कुंभ यात्रियों को लाने के लिए बड़ी संख्या में ट्रेन खड़ी कर दी गई है जो यात्री बढ़ने पर चला दी जाएंगी। इतने बड़े मेले के प्रबंधन का अध्ययन करने के लिए वैसे तो हमेशा विदेशी स्कॉलर आते रहे हैं या अपनी रुचि पर मगर रइस बार दुनिया को भारत के आध्यात्मिक वैभव को दिखाने के लिए दुनिया भर के दूतावासों के लोगों को यहां आने के लिए बुलावा दिया जा रहा है। इस बार कुंभ मेला कई ऐसी घटनाओं का भी गवाह बन सकता है जिसकी उम्मीद शायद ही लोगों को हो। आम चुनाव महज कुछ माह दूर होने से इस बार हिंदू समुदाय के मतों के मद्देनजर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और अन्य कांग्रेस नेता और दूसरे दलों के प्रतिनिधियों का आना जाना लगा रहने की उम्मीद है। उम्मीद है कुंभ कुछ ऐसे सामाजिक संदेश भी देगा जो जातियों में बंटे और सामाजिक बुराइयों से घिरे समाज को आगे का कल्याणकारी रास्ता दिखाएगा। दुनिया के लिए भी मंगलकारी होगा। बहरहाल रेती पर नगर बसने से पहले यहां घाटों पर प्रवासी पक्षियों का बसेरा हो गया है जो प्रयाग के सौन्दर्य को इंदिनो बढ़ा रहा है। वैसे भी आयोजन की तैयारियों से लगता है कि कुभ से बढ़ी प्रयाग शहर की शोभा दुनिया को हैरान कर देगी और कुछ खराब घटनाओं के लोग साक्षी रहे होंगे तो विस्मृत हो जाएंगी। चित्रों से दिखाते हैं कैसे चल रही है कुंभ मेले की तैयारी।

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