विचार

शुक्रवार, 1 फ़रवरी 2019

सदन में मोदी मोदी और राहुल जागो - राहुल जागो के लगे नारे


चुनावी साल में नई सरकार के गठन से पहले के लिए बहुप्रतीक्षित देश का अंतरिम बजट पेश हो गया। अभी कई दिन तक विद्वान इसकी मीमांसा करते रहेंगे। पर जैसा की समझा जा रहा था की बीमारी के इलाज के लिए कड़वी गोली देने पर भरोसा करने वाले "डॉक्टर" मोदी की टीम ने इस बार कड़वी गोली से परहेंज किया और खूब मीठी गोली खिलाई। इसी के साथ वोटों की खेती के लिए चुनावी जमीन पर भरपूर पैदावार वाले बीज भी बो दिया। इसी का नक्तीजा है कि भले ही पक्ष बजट का हमेशा समर्थन और विपक्ष विरोध करता रहेगा पर वोट देने वाले हर वर्ग के लिए बजट में कुछ। न कुछ है। इसी कारण वित्त मंत्री के बजट भाषण के दौरान लगातार एक मिनट से ज्यादा तालियां बजती रहीं। यही कारण है कि सदन में मोदी मोदी के नारे गूंजते रहे तो राहुल जागो राहुल जागो की गूंज भी सुनाई दी। इसी के साथ विपक्ष के नेताओं के चेहरों की हंसी भी गायब थी। कुल मिलाकर यह बजट सवर्ण आरक्षण, आयुष्मान भारत कई और योजनाओं की अगली कड़ी में चुनाव के लिए मोदी सरकार का मास्टर स्ट्रोक साबित हो सकती है। राहुल जागो राहुल जागो का नारा सत्ता पक्ष का खुद पर भरोसा दिखाता है तो तब तक विपक्ष का विरोध न करना उनके हैरान होने की ओर इशारा करता है। अभी बजट की मीमांसा विद्वान और राजनीतिक दल अपने हिसाब से और अपने लाभ हानि के हिसाब से लोगों के सामने रखेंगे पर आम तौर पर बजट भाषण सुनकर और कुछ विशेषज्ञों को सुनकर राय बनाने वाले वर्ग की बांछे खिल गई है। अब तक विपक्ष जिन मुद्दों को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा था सरकार ने उन्हीं पर इलाज और मरहम की शायद कोशिश की है। बजट में दो एकड़ तक वाले किसानों के लिए सालाना ६००० तीन किश्तों में देने की बात कही गई है यह सहायता ऊंट के मुंह में जीरा है पर जैसा हमारे यहां कि संस्कृति बन गई है कि लोग महज कुछ रुपयों के प्रत्यक्ष फायदे को ही फायदा मानते हैं। उनको यह खुश करेगी। खास बात यह है शायद पहली बार ऐसा हो रहा है कि कोई योजना बैक डेट से लागू की जा रही है। इस योजना को संभवतः पिछले दिसंबर २०१८ से लागू की रही है। मतलब चुनाव से पहले एक किश्त नियमो में आने वाले किसानों के खाते में पहुंच जाएगी। इससे बड़ी संख्या में किसानों को लाभ होगा, दूसरी और योजनाओं का भी धीरे धीरे पता चलेगा। इधर दूसरी अन्य कल्याणकारी योजनाएं चलती रहेंगी। और बहुत सारी मई के बाद आने वाले पूर्ण बजट में और इससे पहले चुनावी घोषणा पत्र में सामने आएंगी। कुल मिलाकर वोटों की खेती की खूब कोशिश की गई है बशर्ते यूपी चुनाव के दौरान अखिलेश सरकार की लैपटॉप योजना सा हश्र एन हो। सरकार ने मध्यम वर्ग, मझोले व्यापारियों नौकरी पेशा लोगों को भी रिझाने की कोशिश की है, जो संख्या और वोट के हिसाब से काफी बड़ा हिस्सा है। इस तरह वोट का यह बड़ा कोकतेल बनाता है खास तौर से सरकारों के खिलाफ माहौल बनाने में इस वर्ग का बड़ा हाथ होता है क्योंकि बड़े सामाजिक वर्ग में इसकी पहुंच और इसका असर होता है। सरकार ने आयकर स्लैब बढ़ा दिया है अब ५ लाख तक आमदनी वाले व्यक्ति को कोई कर नहीं देना होगा। साथ कुछ निवेश कर साढ़े सात लाख तक की आमदनी वाले लोग भी आयकर देने से बच जाएंगे। इसके इससे ऊपर की आमदनी वाले स्लैब से छेड़छाड़ न कर बड़े लोगों की हतैशी होने के आरोप से भी बचने की कोशिश की गई है। साथ ही क्यों का त्यों रखकर उसे नाराज भी नहीं किया गया है। Gst council ki agli baithak men भी कमी का संकेत है। इसके अलावा राजकोषीय घाटा आदि कम करने के ऐलानों से उद्योग जगत भी हर्षित है । आम और मध्यम वर्ग के लोगों ने तो इसका स्वागत किया ही है। बजट के दौरान हर सेगमेंट के जिक्र के साथ इन विकास कार्यों से युवाओं को रोजगार मिलेगा और मिल रहा है बताकर वित्त मंत्री ने युवाओं में भरोसा जगाने की कोशिश की है। उन्होंने बजट भाषण में ५ से अधिक बार युवाओं को रोज़गार का जिक्र कर बताने की कोशिश की है कि युवा उसके केंद्र में हैं। साथ ही यह विपक्ष के आरोपों पर सफाई भी थी नजर आ रहा था कि सरकार इस मोर्चे पर दबाव में है। फिलहाल केंद्र सरकार ने अपनी बैटिंग कर डी है देखना है कि उसे कितने ran मिलते हैं पर समय के अभाव में बजट और चुनाव पर फिलहाल इतनी ही बातें और बाकी बातें बाद में।

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