विचार

रविवार, 6 जनवरी 2019

प्रयाग में और आसपास क्या है खास


भारतीय राजनीति का हमेशा ही केंद्र बिंदु रहने वाला प्रयागराज (इलाहाबाद) भारतीय संस्कृति की मूल भावना समावेशीकरण का भी केंद्र बिंदु है। यहां सहिष्णुता है, सद्भाव है सामाजिक एकता भी है। यह पौराणिक के साथ ऐतिहासिक शहर भी है आइए समझते हैं प्रयागराज और आसपास की खास बातें। भारतीय ग्रंथों में मनीषियों (विद्वानों) ने हजारों वर्षों पहले से ही का रखा है आनो भद्रंक्रतावो यांतू विश्वता:(सभी दिशाओं से सद्विचार आने दें) मतलब साफ है वो दुनिया में किसी को बुरा नहीं समझते थे और जिसके पास भी कुछ अच्छी चीजें हैं उससे सीखने की प्रेरणा देते हैं।
 यह वही परंपरा है कि भीषण युद्ध के बाद भी विजेता राम पराजित रावण के पास राजनीति की शिक्षा लेने भाई लक्ष्मण को भेजते हैं और उसके सम्मान में पैर के पास खड़े होने की सलाह देते हैं और जिसके हाथों पूरे कुल का नाश हुआ उन मर्यादा पुरुषोत्तम के भाई को रावण भी शिक्षा देता है। खैर चलते हैं इलाहाबाद । भले ही किसी वजह से हो आजादी के पहले अंग्रेजों ने इलाहाबाद और देश को कई चीजें दी है। उनकी भी विरासत प्रयागराज अपने में समेटे हुए है। 
प्र याग में अब भी कई मोहल्ले उनके नाम पर मिल जाएंगे, मसलन कीडगंज, जॉनसन गंज, जार्ज ताउन आदि। इसके अलावा दिल्ली से कोलकाता के लिए बिछाई गई रेल लाइन के लिए यमुना पर बना ब्रिज अंग्रेजों की ही देन है, सैकड़ों साल पुराना यह ब्रिज अब भी मुस्तैदी के साथ हमारा जीवन आसान बना रहा है।
इसके अलावा इलाहाबाद विश्व विद्यालय की स्थापना म्योर कालेज के रूप में १८८७ में अंग्रेजों ने ही की थी, जो बाद में डिग्री प्रदान करने वाला विश्व विद्यालय बना। यह हिंदुस्तान के शुरुआती चार विश्व विद्यालयों में है जिसका वास्तु दर्शनीय है। मिंटो पार्क: अब इसका नाम मदन मोहन मालवीय पार्क हो गया है पर आम लोग मिंटो पार्क के नाम को भी बता देंगे। यह ऐतिहासिक पार्क है। इलाहाबाद में स्थित सफेद पत्थर के इस मैमोरियल पार्क में सरस्वती घाट के निकट सबसे ऊंचे शिखर पर चार सिंहों के निशान हैं। लार्ड मिन्टो ने इन्हें 1910 में स्थापित किया था।
1 नवम्बर 1858 में लार्ड कैनिंग ने यहीं रानी विक्टोरिया का लोकप्रिय घोषणापत्र पढा था। इससे पूर्व ब्रिटेन की संसद में 2 अगस्त 1858 को लार्ड स्टेनले ने भारतीय अधिनियम को संसद के समक्ष रखा। इस बिल के तहत भारत मे सत्ता का हस्तांतरण ईस्ट इंडिया कंपनी सेे ब्रिटेन की महारानी को किया गया । कंपनी गार्डन अल्फ्रेड पार्क या चंद्रशेखर आजाद पार्क: भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी और सपूत चंद्रशेखर आजाद की यह शहादत स्थली है। १९३१ में पार्क में आजाद अपने एक मित्र सुखदेव राज से मन्त्रणा कर ही रहे थे तभी सी०आई०डी० का एस०एस०पी० नॉट बाबर जीप से वहाँ आ पहुँचा। उसके पीछे-पीछे भारी संख्या में कर्नलगंज थाने से पुलिस भी आ गयी। दोनों ओर से हुई भयंकर गोलीबारी में आजाद को वीरगति प्राप्त हुई। यह दुखद घटना २७ फ़रवरी १९३१ के दिन घटित हुई और हमेशा के लिये इतिहास में दर्ज हो गयी। संग्रहालय: आजाद पार्क में ही एक संग्रहालय भी है जिसमें पुरातात्विक और आधुनिक इतिहास की प्रचुर सामग्री संजोई हुई है।
 आंनद भवन : यह स्थान इलाहाबाद विश्व विद्यालय के पास ही स्थित है।।यह देश के पहले प्रधानमंत्री का आवास है ,जिसमें अब संग्रहालय (नेहरू जी से जुड़ी सामग्री है यहां)और तारामंडल खोल दिया गया है। इलाहाबादी अमरूद: सर्दी के मौसम में इलाहाबाद गए और इलाहाबादी अमरूद न खाया तो क्या खाया। यह अपने आकर्षक रंग और स्वाद के लिए मशहूर है। इस पर लाल रंग की चित्ती (प्राकृतिक दानों वाली छाप)काफी आकर्षक लगती है। दूर से कई बार सेब का भ्रम होने लगता है। यह काटने पर इसका गूदा भी लाल रंग का होता है।
 किला: इलाहाबाद में यमुना नदी के किनारे अकबर का किला भी है पर यह आम लोगों के लिए बंद है। उत्तर प्रदेश का उच्च न्या यालय भी यहीं है। इसके अलावा भी प्रयागराज में बहुत कुछ देखने और समझने के लिए है जिसे उत्तर प्रदेश सूचना विभाग ने एक बुकलेट के रूप में प्रकाशित किया है। इसलिए उसके फोटो अटैच कर दे रहा हूं। सूचना विभाग की वेबसाइट से भी जानकारी ले सकते हैं। कुंभ की भी सरकार ने एक वेबसाइट बनवाई है,जिससे जरूरी जानकारी मिल सकती है। यातायात: प्रयागराज दिल्ली और देश के सभी प्रमुख शहरों से रेल से जुड़ा है। यहा एयर पोर्ट भी है, साथ ही दिल्ली से बस से भी आ सकते हैं।
 आ स पास के प्रमुख शहर और दर्शनीय स्थल: इलाहाबाद से ९० किलोमीटर की दूरी पर मिर्जापुर है। यह विंध्याचल, अष्टभुजा और काली खोह मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। मिर्जापुर नगरपालिका कार्यालय की नक्काशी काफी खूबसूरत है। गंगा किनारे बसे शहर के घाट बहुत खूब सूरत हैं। शहर से ८ किलोमीटर दूर विंधम फाल, टांडा फाल अपनी खूबसूरती के लिए चर्चित रहते हैं।
खजूरी डैम का नज़ारा बेहद खू बसूरत है। इसके अलावा भी आसपास कई खूबसूरत स्थान है। यहां से ३० किलोमीटर दूर चुनार गढ़ किला (नीरजा गुलेरी के चंद्रकांता धारावाहिक वाला यहीं हैं) इसके अलावा पास में ही शक्तेशगढ आश्रम आदि हैं। अधिक जानकारी www.mirzapur.nic.in से प्राप्त की जा सकती है। Chunar यह मीरजापुर की ही तहसील है और प्लास्टर of पेरिस के बर्तनों के लिए देश भर में प्रसिद्ध है। इसके अलावा मिर्जापुर जिला कालीन निर्माण और पीतल के बर्तनों के निर्माण के लिए प्रसिद्ध है। इलाहाबाद से 120 kilomeetar दूर स्थित वाराणसी हिन्दू और बौद्ध धर्मावलंबियों की आस्था का प्रमुख केंद्र है।
 विश्वनाथ टेंपल,bhu, सारनाथ समेत अनेक स्थल यहां आसपास दर्शनीय है। मिर्ज़ापुर और बनारस दोनों ही बस और रेल मार्ग से अच्छे से जुड़े हुए हैं। बनारस से अंतर राष्ट्रीय उड़ान भी संचालित होती है।

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