विचार

मंगलवार, 29 मई 2018

चुनाव में हार का डर औऱ ईवीएम पर हायतौबा

देश में हर चुनाव में सबसे ज्यादा निशाना ईवीएम आजकल बनाई जा रही है। आमतौर पर चुनाव के बाद अपनी हार की वजह छिपाने के लिए हमारे यहां उसको बलि का बकरा बनाया जाता है। और कई बार पहले से ही इस बात की गुंजाइश रखी जाती है कि जनता द्वारा दरकिनार किये जाने पर ईवीएम को दोषी क़रार दिया जाय।हालाँकि कोई राजनीतिक दल या इस मेधावी देश का एक भी मेधावी इस पर अपने खयाली पुलाव को सिद्ध नहीं कर सका है।।जबकि पिछले चुनाव में ऐसी ही आवाज उठने पर चुनाव आयोग ने गड़बड़ी सिद्ध करने की चुनौती भी दी तंगी।
28 मई 2018 को देश भर में हुए उपचुनावों में खासकर कैराना उप चुनाव जहाँ विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों की इज़्ज़त दांव पर लगी है। इस चुनाव में मतदान से पहले  ईवीएम में जुड़ने वाली एक और मशीन जिसे वीवीपैट कहा जाता है जो मतदाता  को इलेक्ट्रॉनिक रशीद देती है कि  मतदाता ने किसे वोट दिया में कुछ खराबी पाई गईं।संभवतः मशीन चली नहीं इससे मतदान में कुछ देरी हुई मगर राजनीतिक दल ऐसे प्रचारित कर रहे हैं जैसे ईवीएम खराब थी।जबकि वीवीपैट को कुछ देर में बदल दिया गया होगा।
वहीं राजनीतिक दलों खासकर विपक्ष को बैलेट पेपर पर बहुत भरोसा जग रहा है और विपक्ष ऐसा प्रचारित करता है कि जनता को ईवीएम पर भरोसा नहीं है। हालांकि बैलेट पेपर से मतदान लोकतंत्र के लिए ज्यादा अहितकर है। खासतौर से जब हम सुधार का एकचरण पर कर चुके हैं तो दरकिनार कर दिए गए लोगों की चालबाजियों के चक्कर में हमें अपनी चुनाव प्रारणी में अतार्किक छेड़छाड़ नहीं करना चाहिए।
हालांकि जनता को ईवीएम की खासियत जरूर बतानी चाहिए ताकि वो किसी चालबाजी में न फंसे। फिलहाल बैलेट पेपर से चुनाव में कुछ दिक्कतें हैं। पहला की इससे मतदान में बड़ी संख्या में वोट अमान्य हो जाते हैं क्योंकि अशिक्षित लोग सही से मोहर नहीं लगा पाते।स्याही इधर से उधर लगने या फैल जाने पर ये दिक्कत आएगी।
वहीं इससे वोट में कर्मचारियों पर निर्भरता बढ़ेगी क्योंकि कई बार अष्पष्ट स्याही लगने पर मतगणना कर्मी तय करेगा कि वोट सही है या नहीं अपने विवेक से और देश में डंडे के जोर से ही निष्पक्षता आती है जैसा चुनाव आयोग की कार्यवाही का डर।साथ ही हमारे यहां अशिक्षित लोगों का प्रतिशत काफी है।
वहीं बैलेट पेपर से मतदान और मतगणना में समय ज्यादा लगेगा और ज्यादा समय मतगणना में ज्यादा गड़बड़ी के मौके देगा।फिर बैलेट पेपर के दौर में तमाम बूथों पर बूथ कैप्चरिंग , चुनाव को प्रभावित करने के लिए बैलेट बॉक्स में पानी डालकर दोबारा चुनाव कराने के हथकंडे अपनाने के ये आरोप ईवीएम पर सवाल उठाने वाले विपक्षी दलों के तमाम स्थानीय नेताओं पर लगते रहे हैं। और आपमेंसे कई इसके गवाह होंगे या इसके किस्से सुने होंगे।ऐसे में दरअसल ईवीएम पर सवाल इनकी नीयत पर सवाल है।
मगर चिंताजनक है कि कैराना चुनाव में सत्तारूढ़ दल के लोगों की ओर से भी सवाल उठाए गए हैं हालांकि उनकी ओर से कर्मचारियों पर सवाल उठाए गए हैं मगर खबरों में इस तरह से प्रकाशित किया गया है जैसे उन्होंने भी ईवीएम पर सवाल उठाए हैं जबकि विपक्षी दल भी वीवीपैट की बात कर रहे हैं जो एक अलग मशीनहै।
इसके अलावा मतदान से पहले हर बूथ पर सभी प्रत्याशी के एजेंट की मौजूदगी में मॉक पोलिंग होती है और एजेंट के ओके करने पर मतदान शुरू होता है। ऐसे में गड़बड़ी होने पर पता चल जाएगा। इसलिये स्वार्थ की ख़ातिर संवैधानिक संस्थाओं पर सवाल ठीक नहीं।


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