विचार

बुधवार, 18 मार्च 2020

Corona covid 19 के पीछे का खेल

एक वायरस यानी विषा नु ने इन दिनों पूरी दुनिया में हाय तौबा मचा रखी है लोगों का घरों से बाहर aana-जाना कम हो रहा है। अखबार टीवी रेडियो हर जगह corona का ही शोर है। घरों से बाहर निकलते ही बहुत से लोग डरे डरे से लग रहे हैं मुंह पर मास्क लगाए हैं। सेनेटाइजर, जांच किट समेत तमाम ऐसी चीजों की खपत बढ़ गई है जिन्हे भारत जैसे देश में कम पूछा जाता था। कंपनियां वर्क फ्रॉम होम की तैयारी में जुटी है, स्कूल कालेज पूरे मार्च के लिए बंद कर दिए गए हैं,सार्वजनिक कार्यक्रम रद्द हो गए हैं व्यापारिक गतिविधियां ठाप सी हैं। निजी दफ्तर में अचानक गेट पर कर्मचारी खड़े कर दिए गए हैं बिना टेंप्रेचर चेक कराए प्रवेश नहीं कर सकते। हर जगह को सेनेताईज करने का प्रयास किया जा रहा है। बच्चे बच्चे की जुबान पर है।  कुल मिलाकर युद्ध जैसा माहौल है।

    य ह हाल तब है जब यह corona अब तक सामने आए वायरस में सबसे कम ख़तरनाक बताया जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट के मुताबिक भारत में 18 मार्च तक सिर्फ 13 0 भारतीय नागरिकों में corona की  पुष्टि हुई है और 24 विदेशियों में और  इससे भारत में सिर्फ 3 लोगों की इससे मौत हुई है, जबकि जांच लाखों लोगों की हो चुकी है, हवाई अड्डों पर ही साढ़े 13 लाख लोगों की जांच हो चुकी है अन्य जिलों शहरों गांवों में भी जांच की जा रही है। उत्तर प्रदेश के गौतमुद्धनगर नगर जिले जिसमें नोएडा शहर भी पड़ता है स्वास्थ्य विभाग की 3000 टीम बनाई गई है जो घर घर जाकर जांच करेंगे।

    इधर इसमें भी आशंका है कि जो लोग corona se mare bhi hain ये पहले से भी किसी बीमारी से ग्रस्त रहे हों, या इनकी प्रतिरोधक क्षमता किसी कारण कम रही हो। इस पर इत ना बड़ा बखेड़ा किसी बड़े खेल की ओर इशारा कर रहा है, मीडिया इसमें कठपुतली बनी हुई है। मैं ये नहीं कहता कि बीमारी से सजग रहने की जरूरत नहीं है और सर्दी जुकाम भी कष्ट तो पहुंचाती है पर अत्यधिक अटेंशन से देश में पैनिक स्थिति बन गई हैं और दवा बाज़ार के खिलाड़ियों को मौका मिल गई है। हालात इसके पीछे बड़े खेल की ओर शक की सुई घुमा रहे है।

    दरअसल एक दिक्कत यह है कि इस novel covid 19 यानी korona से पीड़ित को भी आम बीमारियों में सर्दी, खांसी जैसे लक्षण दिखते हैं पर कोरोण पीड़ित में फर्क यह है कि उसे बुखार अनिवार्य रूप से रहता है। इधर सामान्य बुखार कि स्थिति में भी लोग डर जा रहे है, राहत की बात यह है कि यह हवा के जरिए नहीं फैलता, मानव शरीर के बलगम के संपर्क में आने या ऐसी वस्तु जहां यह है उसको छूने से ही यह फैलता है जबकि इससे ख़तरनाक टीबी है पर पैनिक कोराना को लेकर बनी।

 2018 में एक वेबसाइट ने who ki report ke havale se ek khabar prakashit ki thi isame bataya that ki  दुनिया में टीबी के कारण होने वाली मौतों में सबसे ज्यादा मौत भारत में होती है। डब्ल्यूएचओ ने वर्ल्ड टीबी डे के मौके पर वर्ष 2016 में यह रिपोर्ट जारी की थी जिसके बाद जनवरी 2018 में इस रिपोर्ट को रिन्यू कर दिया गया । दुनिया में मौत के 10 कारणों में टीबी से होने वाली मौत सबसे ज्यादा है।वर्ष 2016 में पूरे विश्व में 10.4 मिलियन लोग टीबी के शिकार हुए, जिनमें से 1.7 मिलियन की मौत हो गई पर हंगामा कोराना को लेकर संभवतः टीबी की दवा फ्री होने और पुरानी डिसिस होने से यह आकर्षक नहीं रही, या इसमें मुनाफा क म दिख रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय की 2019 में आई रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में देश में टीबी के करीब 21 लाख केस थे। वहीं 14 फरवरी 2019 को एक प्रतिष्ठित अखबार की वेबसाइट ने एक जनवरी से 10 फरवरी के बीच 9367 स्वाइन फ्लू के मरीज पंजीकृत होने और इससे312 की मौत की बात प्रकाशित की है। इसी तरह दूसरी बीमारियां भी हैं पर कवरेज कोरो ना  अधिक पा रहा जिससे पैनिक की स्थिति बन गई है।

     छह मार्च को livehindustan.com पर एक रिपोर्ट बताती है यह वायरस बूढ़ो और बीमारों के लिए ही थोड़ा ख़तरनाक है। बीते दिनों मैंने एक राष्ट्रीय दैनिक में इससे ख़तरनाक चार पांच वायरस के बारे में पढ़ा था फिर इससे घबराने की क्या जरूरत। हालांकि किसने इसे फैलाया इसको लेकर दो देश आरोप प्रत्यारोप में पड़े हैं । इससे तो यह लगता है कि इसके पीछे बाज़ार कि ताकते हैं।

 अच्छी बात यह है कि सरकार ने चीन में इसके मामले सामने आने के बाद ही एहतियाती कदम उठा लिए थे। विदेश से आने वाले लोगों की स्क्रीनिंग शुरू कर दी गई थी। इसका नतीजा भी सामने लोग ठीक होकर अपने घर जा रहे हैं। अभी तक सिर्फ हवाई अड्डों पर तेरह लाख 54 हजार से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है। जिला स्तर पर भी इलाज की व्यवस्था है, 14 पीड़ित लोगों को अस्पतालों से छुट्टी भी दी जा चुकी है। जिला प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर हेल्प लाइन जारी की गई है जहां मदद मिल रही है। हालांकि इसमें भारतीय संस्कृति भी सहयोग कर रही है लोग बात कर रहे है एहतियात बरत रहे हैं पर मस्त भी हैं।
      मैं पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के पूर्व प्रमुख नजम सेठी जो इन दिनों ब्रिटेन में हैं उनका यूट्यूब वीडियो देख रहा था। वो ब्रिटेन के बारे में बता रहे थे कि यहां पैनिक करियेट करने से बचा जा रहा है। गंभीर लोगों का ही इलाज किया जा रहा है बाकी केस रजिस्टर करने के बाद कहा जा रहा है आपस में खूब मिलो एक सीमा के बाद शरीर खुद की इसके खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेगा। इस तरह एहतियात बरतें पर डरें नहीं।
https://www.haribhoomi.com/full-page-pdf/epaper/raipur-full-edition/2020-03-17/raipur-raipur-main/19655 

https://m-livehindustan-com.cdn.ampproject.org/v/s/m.livehindustan.com/health/story-corona-virus-more-dangerous-for-old-and-sick-people-3070550.amp.html?amp_js_v=a3&amp_gsa=1&usqp=mq331AQFKAGwASA%3D#aoh=15844839585371&referrer=https%3A%2F%2Fwww.google.com&amp_tf=From%20%251%24s&ampshare=https%3A%2F%2Fwww.livehindustan.com%2Fhealth%2Fstory-corona-virus-more-dangerous-for-old-and-sick-people-3070550.html
 हम  इससे पहले प्लेग आदि बीमारियों से लाद चुके हैं पर इतना डर नहीं देखा पर इसके कारोबार में कुछ लोगों का तो फायदा हो ही रहा है,मास्क   जांच किट सेनेटाइजर, साबुन और संक्रमण मुक्त करने की दवाओं की बिक्री बढ़ी हुई है। मास्क तो कई गुना अधिक कीमत पर बिक रहे हैं। इसी दौरान एन सी आर में नकली सेनेटाइजर बनाने में भी लोग पकड़े गए हैं।

 17 मार्च 2020 के हरिभूमि अखबार के संपादकीय पृष्ठ पर कोराना के डर का सच शीर्षक से प्रकाशित एक लेख में भी वायरस को प्रचारित करने के पीछे किसी खेल के होने की आशंका से इंकार नहीं किया है। इसमें कहा गया है कि कोराना वायरस जितना ख़तरनाक नहीं है उससे अधिक साबित हो रेशा है। इसे सफल बनाने के लिए मीडिया और मुट्ठी भर चिकित्सकों का सहारा लिया जा रहा है। इसमें कहा गया है कि वायरस की कोई मुकम्मल दवा नहीं होती। इसमें कहा गया है कि 1983 में आविष्कृत जिस पीसी आर टेस्ट के बल पर korona को डिटेक्ट करने की बात कही जा रही है उसके आविष्कारक कैरी मुलिस ने माना था कि इससे किसी पार्टिकुलर बैक्टीरिया या वायरस को 100% डिटेक्ट नहीं किया जा सकता। इसमें यह भी बताया गया है कि ब्रह्मांड में करीब 3.5 लाख वायरस हैं जिनमें से अभी 200 का ही नाम रखा जा सके हैं। और चिकित्सा विज्ञान कहता है कि ये वायरस हमारे शरीर में आते जाते रहते हैं पर हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने पर ही असर डालते हैं । ऐसे में कोराना को लेकर हंगामा क्यों बरपा है समझ से परे है।

1 टिप्पणी:

Mrityunjay Tripathi ने कहा…

कोरोना के नाम पर जो इतना शोर है,
सच बोलो किस बात पर जोर है?

बहुत सही लिखा आपने पांडेयजी।