विचार

सोमवार, 23 मार्च 2020

कोरोना से बचाव के लिए अभूतपूर्व जनता कर्फ्यू दिल्ली नोएडा बंद

कोरोना का प्रसार बढ़ता जा रहा है, दिल्ली नोएडा के हालात भी ठीक नहीं हैं। रोज कोई न कोई मामला सामने आ रहा है। इसको लेकर सरकार, स्वास्थ्यकर्मी, निगमकर्मी समेत तमाम अमला जद्दोजहद कर रहा है, पुलिस और मीडिया भी अपने हिसाब से जिम्मेदारी निभा रही है पर जनता का एक तबका गंभीर नजर नहीं आ रहा था। इसको जागरूक करने के लिए वायरस पर नियंत्रण के लिए 22 मार्च को प्रधानमंत्री मोदी ने जनता कर्फ्यू का आह्वान किया था यानी जनता के लिए खुद पर अनुशासन यानी लोगों को घरों में रहना था और भीड़ नहीं जुटानी थी, इसको अभूतपूर्व जन समर्थन मिला इतना तो भारत जैसे देश में पुलिस यानी कानूनी कर्फ्यू का पालन मुश्किल है यह हाल पूरे देश में था पर मैं दिल्ली नोएडा की बात करूंगा।

    जब मैं पोस्ट लिख रहा हूं, तब तक देश में कोरोना के 359 मामले दर्ज हो चुके हैं। इसके कारण 7 लोग जान गंवा चुके हैं और 15 लाख से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग हो चुकी है, यह आंकड़े सभी को इससे सजग रहने के लिए प्रेरित करने को पर्याप्त वज़ह हैं। चलिए फिर आते हैं 22 मार्च पर।

     मयूर विहार फेज 3 दिल्ली : आम तौर पर चहल पहल वाले मोहल्ले में सन्नाटा था। लोग घरों में ही थे, दुकानें बंद थीं। सड़कें इंसानों से खाली, कोलाहल बिल्कुल नहीं था। सड़कों पर पशु कोरोना से बेखबर पड़े थे जैसे आज उनका राज हो। दिल्ली में दोपहर में वाहनों के शोर के कारण आपस कि आवाज सुन ना मुश्किल होता है पर आज पक्षियों का कलरव भी आसानी से सुनाई से रहा था। कोयल की कूक और कई ऐसे पक्षियों की आवाज जिन्हें मैं नहीं पहचाता उसे भी सुनना आज मुमकिन हो गया था। इससे पहले एक फेरी वाले ने मोहल्ले के सन्नाटे को चीरा और 2-3 लोगों को कालीन जैसी कोई चीज बेच के गया।

  खैर, करीब 3 बजे दफ्तर के लिए घर से निकला तो इक्का दुक्का लोग ही सड़क पर दिखे, वो भी ऐसा लग रहा था घर में रहने की बेचैनी से बाहर निकले हों पर अपनी सरहद उन्होंने भी तय कर रखी थी। आज सड़क पर न ई रिक्शा था और न ऑटो माहौल भांपते अधिक समय नहीं लगा। किसी मदद की गुंजाइश भी नहीं थी और जाना था नोएडा सेक्टर 63 सी ब्लॉक तो सोचा चलते हैं फिर देखेंगे कि आगे क्या हासिल हॉट है कुछ नहीं होगा तो तजुर्बा होगा।
 

   आगे चलते हैं तो आसमान इतना नीला अरसे बाद साफ देखा। इतना शांति मानो आसमान भी अपनी बुलंदी से आसमानों कि बस्ती में झांकने की कोशिश कर रहा था कि माजरा क्या है। जैसे पूछ रहा हो कि इतना सन्नाटा क्यों है भाई, आखिर हुआ क्या है। हवा भी साफ थी, दम नहीं घुट रहा था। आगे चला तो कबूतरों ने सड़क पर डेरा डाला था। उनकी    गुट र गूं साफ सुनाई दे रही थी, वर्ना तो सुबह भी उनकी आवाज सुनना मुश्किल होता है। कबूतर निडर भी थे बहुत नजदीक जाने पर ही उड़ रहे थे जैसे आज तो उनका ही राज हो।

   आगे चला तो रेड लाइट मिली पर आज यह उदास थी। आज इसे देखने वाले कम थे तो वह इतराती किस पर। इक्का दुक्का लोग बिना उसकी परवाह किए निकल रहे थे। आगे चला तो पेट्रोल पम्प बंद था, सामने की सोसायटी में कोई बालकनी में फोन से बात करते नजर आया तो कोई अपना काम काज निपटाते नजर आया। कुछ लोग मौके का फायदा भी उठाते मिले उन्होंने सड़क के डिवाइडर पर बनी रेलिंग पर ही कपड़े फैलाए तो कुछ बुजुर्ग सोसायटी के गेट से ही हालात का आंकलन करते मिले वैसे इसे जागरूकता भी कहना चाहिए। वैसे ऐसे दृश्य आगे भी कई जगह मिले।

      आगे नोएडा की हरिदर्शन चौकी पर कुछ पुलिसकर्मी भीतर थे आवाज सुनाई दी और कुछ हो सकता हो ड्यूटी पर हों पर दिखे नहीं वहीं निगम कर्मी टेंकर से पानी का छिड़काव करते दिखे। आगे १२-२२ के पास फुटपाथ पर बंदर चहलकदमी कर रहे थे। भले इंसान खौफ में थे पर ये बेखौफ । सेक्टर २२ होते ही पैदल आगे बढ़ा कुछ और लोग भी बिना वाहन पैदल ही चलने के लिए फंसे थे। कुछ कैब चालक हम लोगों को पैदल जाते हुए मुस्कुरा रहे थे आगे सेक्टर ५८ में फूल खिले हुए थे कोयल की कुहू कुहू सुनाई दे रही थी दूसरे पक्षियों कि आवाज भी साफ सुनाई दे रही थी म न किया लगे हाथ इं आवाज़ों को रेकॉर्ड कर लूं पर फोन ने दगा दे दिया। आज पक्षियों कि मधुर आवाज थी खूबसूरत फूल खिले थे पर न कोई देखने वाला था न सुनने वाला था।

 खैर आगे बढ़ा सेक्टर ७१ पहुंचते ऑफिस से फोन आ गया हालांकि मैंने बता दिया कि आ रहा हूं और फोन रख दिया। तब तक धूप के कारण में पसीने से तर था और बार बार इसे पोंछ रहा था पर उत्साह था तो आगे बढ़ता गया, बहुत दिन बाद पैदल चलने पर आनंद रहा था, मोरादाबाद बरेली याद आ रहे थे। सेक्टर ६६ होते ही आगे बढ़ा तो बिजलीघर से कुछ पहले बच्चे सड़क पर सायकिल चलाते और कोई हिंदी गाना शायद मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू मोबाइल पर मस्ती करते मिले, अंदाजा लगा सकते हैं ये हमारी सांस्कृतिक ताकत ही है कि हम किसी भी स्थिति में खुश रहने की अपनी तलब को छूटने नहीं देते। खैर आगे बढ़ा और कुछ चला तो मंजिल यानी दफ्तर सामने था, पर आज सब अलग सा लग रहा था।

   https://brahmaastra.blogspot.com/2020/03/korona.html?m=1
२२ मार्च को जनता कर्फ्यू के दौरान मयूर विहार फेज थ्री में सड़क पर सन्नाटा पसरा रहा।

जनता कर्फ्यू के दौरान दिल्ली के मयूर विहार फेज थ्री इलाके में सड़कें सूनी रहीं पर चहल पहल कम होने से पक्षी सड़कों के किनारे अठखेलियां करते मिले।

Mayur vihar fase 3 Delhi area at the moment of janta curfue

Kondali  road mayur vihar fase 3 area in Delhi at the moment of janta curfue

 


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