विचार

सोमवार, 16 अप्रैल 2018

विकास यज्ञ

चहुं ओर विकास के लिए

सरकार ने कथा सुनी

पूंजीपतियों ने किया मंत्र प्रवाह

और अरमान हमारे हवन बने

हम तो  श्रो ता, द्

दर्शक रहे हमको मिला प्रसाद
 


इस यज्ञ का धुंआ यहीं तक फैला

हम देख रहे अपनी ओर शांत आकाश

किसी ने बताया हवा के साथ

तुम्हारी ओर ही आएगा

होगी स्वर्ग कुसुमों की बरसात

बीते दिन पर दिन... अब तो आस भी छूटी

अब ऐसे ही फफक फफक कटेगी रात।।

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